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Rohtas चार वर्षों में एक भी मकान नहीं हुआ पूरा,प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए लाभार्थी लगा रहे हैं नगर निगम का चक्कर, 191 लोगों का हुआ था चयन
 

Rohtas चार वर्षों में एक भी मकान नहीं हुआ पूरा,प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए लाभार्थी लगा रहे हैं नगर निगम का चक्कर, 191 लोगों का हुआ था चयन

बिहार न्यूज़ डेस्क  हर इंसान अपने खुद के घर का सपना देखता है. उस सपना को पूरा करने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत भी करता है. बावजूद इसके कुछ लोग घर के सपना को पूरा करने में नाकाम रहते हैं. मजबूरन उन्हें झुग्गी-झोपड़ी में रहना मजबूरी हो जाती है. बरसात के दिनों में छत से टपकते पानी के कारण पूरी रात जगकर गुजारनी पड़ती है.

प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना ने वैसे बेघरों को एक उम्मीद की नई किरण जगाने का काम किया है. सरकारी स्तर से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों का सर्वे हुआ. सर्वे के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना में उनका नाम तो जरूर आया, लेकिन सरकारी तंत्र की लेट-लतीफी ने उनके सपनों को हकीकत में बदलने नही दिया. कछुए गति से चल रही योजना ने इनका पूरा सपना तोड़ दिया. पिछले चार सालों में इस योजना के तहत एक भी मकान मुकम्मल नही हुआ है. लाभार्थी इस योजना का राशि प्राप्त करने के लिए नगर निगन के चक्कर काट रहे हैं.
तीसरे चरण के तृतीय और चौथी किस्त की राशि एक भी लाभार्थियों को नहीं मिला तीनो चरणों में अभी तक एक भी लाभार्थी को चौथी किस्त की राशि प्राप्त नहीं होना निगम के कार्यशैली पर कई सवाल खड़ा करता है. अगर सर्वे सही हुआ है तो अधिकारी और लाभार्थियों के बीच आपसी लेनदेन में बात ना बनी होगी. एक मकान को मुकम्मल कराने में चार वर्ष से भी ज्यादा समय लग जाना काफी हास्यास्पद बनी हुई है. अधिकारी इसका जिम्मेदार लाभार्थियों को बताते हैं, तो लाभार्थी इसका ठिकड़ा अधिकारियों पर फोड़ते हैं. आवास योजना से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि लाभार्थियों द्वारा समय पर जरूरी कागजात नही दिया जाना देरी का कारण बना है. इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं अपात्र लाभार्थियों का चयन विभाग द्वारा किया गया है.
क्या है प्रक्रिया इस योजना के तहत लाभार्थी को अनुदान के तौर पर चार किस्तों में दो लाख रुपए की राशि दी जाती है. चयनित लाभार्थियों को नींव खुदवाने के बाद कागजात जांच कर जिओ टैगिंग के उपरांत 50 हजार रूपये की राशि प्लिंथ स्तर तक कार्य करने के लिए दिया जाता है. दूसरी किस्त में कनीय अभियंता द्वारा स्थल निरीक्षण करने के बाद एक लाख की राशि छत की ढ़लाई तक के लिए दिया जाता है. तीसरे किस्त में 20 हजार की राशि प्लास्टर, खिड़की, दरवाजे और जमीन निर्माण करने के लिए दिया जाता है. एमएसआईडी अपने मकान पर लगाने के बाद चौथे किस्त के रूप में 30 हजार की राशि दी जाती है.

रोहतास न्यूज़ डेस्क
 

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