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Munger सदर अस्पताल में यूनानी व आयुर्वेद के छात्रों की ट्रेनिंग पर उठ रहे सवाल

पाचन होता है बेहतर आयुर्वेद के अनुसार, भांग की पत्तियां डाइजेशन सुधारने का काम करती है। इसकी 3-4 पत्तियों को उबालकर पीने से पाचन शक्ति बेहतर होती है।

बिहार न्यूज़ डेस्क सदर अस्पताल में ट्रेनिंग लेने के लिए यूनानी से लेकर आयुर्वेदिक स्टूडेंट आते हैं. करीब दो दर्जन छात्र अभी ट्रेनिंग ले रहे हैं. मगर किसके आदेश से ट्रेनिंग ले रहे हैं. कॉलेज की मान्यता है भी या नहीं, इसका कोई कागजात डीएस कार्यालय के पास नहीं है. जिसकी खोज करने का निर्देश सदर अस्पताल के डीएस ने कार्यालय को दिया है. साथ ही इसकी सूचना सिविल सर्जन को भी दी है.

बताते हैं कि इस मामले की गंभीरता से देखते हुए सिविल सर्जन ने संचिका पर ही किसी तरह का आदेश देने का निर्देश दिया है. बताते हैं कि इस निर्देश के बाद वैसे स्टूडेंट में बेचैनी है जिनका ट्रेनिंग समाप्त होने वाला है या हो चुका है. बताया जाता है कि सदर अस्पताल में आए दिन इतने अधिक स्टूडेंट विभिन्न कॉलेज से ट्रेनिंग ले रहे हैं कि अभी अस्पताल ट्रेनिंग लेने वाले छात्रों से फुल चल रहा है. मगर जब बैच खोजा जाता है तो उस स्टूडेंट के पास कोई अस्पताल का बैच नहीं होता है. ऐसे कुछ युवा जो अपने को स्टूडेंट बताए थे, उनके पास ट्रेनिंग का बैच नहीं रहने पर तत्कालीन सीएस व वर्तमान एसीएमओ डॉक्टर श्रवण पासवान ने वार्ड से बाहर निकल दिया था. सभी ट्रेनर स्टूडेंट को अस्पताल से मिले बैच को लगाने का निर्देश दिया था. मगर यह निर्देश उनके सीएस का पद भार हटते शिथिल पड़ गया. बताया जाता है कि ट्रेनिंग लेने वाले स्टूडेंट की संचिका का नहीं मिलना बहुत बड़ा जांच का विषय बन गया है. आखिर किसके निर्देश से किस संचिका से स्टूडेंट को ट्रेनिंग दी जा रही है. संचिका नहीं होने से ट्रेनिंग लेने वाले स्टूडेंट की परेशानी तो बढ़ ही गई है . मगर इसके पीछे कौन रैकेट काम कर रहा जो बगैर किसी वेरीफिकेशन के स्टूडेंट को ट्रेनिंग के लिए निर्देश दे रहा है.बताते हैं कि इतना ही नहीं सदर अस्पताल से कुछ वित्तीय पुरानी संचिका भी नहीं मिल रही है. जिस संचिका पर दवा की सदर अस्पताल से खरीदारी, कोरोना काल में हुई खरीदारी की संचिका नहीं मिल रही है. जब इसकी खोजबीन शुरू की गई तो सदर अस्पताल प्रबंधक कौशल दुबे ने दोनों हाथ खड़े कर लिए. उन्होंने कहा कि उनको फाइल ही मिला है. किसी ने चार्ज ही नहीं दिया है. इतना ही नहीं आलम यह है कि बगैर डीएस और सीएस के इजाजत के कर्मी अपने मन से मेडिकल बोर्ड का भी गठन कर उम्र का सत्यापन करा लेता हैं. पकड़े जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है. अभी तक यह फाइल जांच के लिए कार्यालय में पड़ा है.

अनियमितता पाए जाने पर की जाएगी कार्रवाई

इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने बताया कि बगैर संचिका का कोई आदेश नहीं करने का निर्देश दिया जायेगा. ट्रेनिंग लेने वाले स्टूडेंट के कॉलेज की मान्यता पर ही ट्रेनिंग लेने का निर्देश गया है. अगर इसमें किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है तो कड़ी कार्रवाई होगी. बगैर अस्पताल के बैच के कोई ट्रेनर पकड़ा जाएगा तो उसे हटा दिया जाएगा.

 

मुंगेर न्यूज़ डेस्क

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