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Moradabad जालसाजों को रोजाना सवा सौ करोड़ की ठगी का मिला था टारगेट

पुराने बिलासपुर हल्का के पटवारी उमेंद्र राम बंजार ने अपने फर्जी हस्ताक्षर से कब्जा प्रमाण पत्र तैयार कर अपार्टमेंट बेच दिया। घटना का खुलासा तब हुआ जब खरीददार ने कब्जा लेने के बाद नामांतरण के लिए पटवारी कार्यालय में संपर्क किया। अपनी मुहर पर किसी और के हस्ताक्षर देखकर पटवारी आश्चर्यचकित रह गया। दस्तावेज में दिए गए नंबर पर फोन किया तो किसी ने फोन नहीं उठाया। यदि खरीदार सहमत है, तो विक्रेता बाहर है। जिससे उसने सौदा किया था वह आया था और सौदा लेकर चला गया था। इस संबंध में पटवारी ने सिटी कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई है।  पटवारी उमेंद्र राम बंजारे ने बताया कि उन्हें फर्जीवाड़े की जानकारी तब हुई जब मकान कल्याण सुंदर अपार्टमेंट के दस्तावेज उनके पास नामांतरण के लिए आए। दस्तावेजों की जांच से पता चला कि पिंकी मतलानी और उनके पति भरत मतलानी ने यह अपार्टमेंट सांब शिवम पाठक में रहने वाली बाईमा को 1 करोड़ 44 लाख 80 हजार रुपये में बेच दिया था. ट्रांसफर दस्तावेज और पजेशन सर्टिफिकेट देखने पर पता चला कि सील तो उनकी है, लेकिन पजेशन सर्टिफिकेट में हस्ताक्षर उनके नहीं हैं. कब्जा प्रमाण पत्र कहां से और किससे प्राप्त हुआ, जब पटवारी उमेंद्र राम बंजारे ने क्रेता सांब शिवम पाठक से पूछा तो पता चला कि कब्जा प्रमाण पत्र पिंकी और उसके पति भरत मतलानी ने बनवाया है। फर्जी हस्ताक्षर का पता चलने पर पीड़ित ने नगर थाने पहुंच कर फर्जी हस्ताक्षर से कब्जा पत्र बनाने की शिकायत की. इस मामले में पुलिस जांच के बाद अपराध दर्ज करने का हवाला दे रही है.  फोन कॉल का कोई जवाब नहीं फर्जीवाड़े की जानकारी जैसे ही पटवारी उमेंद्र राम बंजारे को मिली तो उन्होंने मामले की सच्चाई जानने के लिए पिंकी मतलानी और उनके पति भरत मतलानी दोनों के मोबाइल नंबरों पर फोन किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। संपर्क न हो पाने पर पीड़िता ने दिए गए पते पर खोजबीन की, लेकिन विक्रेता पिंकी और उसके पति का पता नहीं चल सका।  जांच और कार्रवाई की मांग की घटना की जानकारी जैसे ही पटवारी को लगी तो उसने इसकी सूचना तहसीलदार व अन्य अधिकारियों को दी और उनके निर्देश पर सिटी कोतवाली थाने पहुंच गया। पटवारी उमेंद्र राम बंजारे ने पुलिस से अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करने की मांग की है। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. फर्जी हस्ताक्षर से कब्जा पत्र बनाना गंभीर मामला है। यह पहला मामला सामने आया है. पटवारियों को निर्देश दिया गया है कि वे तुरंत थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराएं ताकि ऐसे मामले दोबारा न हों। पुलिस मामले की आगे जांच कर मामले का पर्दाफाश करेगी।  तिरुपति में कमरा बुक करने के नाम पर डॉक्टर से 90 हजार रुपये की ठगी तिरुपति में कमरा बुक करने के नाम पर जालसाजों ने शहर के जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. किरण वासुदेव देवरस से 90 हजार 356 रुपये की ठगी कर ली। डॉक्टर ने इसकी शिकायत सिविल लाइन थाने में की है। पुलिस मामला दर्ज कर जांच कर रही है.  तिलक नगर में रहने वाली शिशु रोग विशेषज्ञ किरण वासुदेव देवरस ने धोखाधड़ी की शिकायत की है। डॉक्टर ने कहा कि उन्होंने 1 नवंबर को तिरुपति देवस्थानम में कमरा बुक करने के लिए फोन किया था। इसी बीच उन्हें बताया गया कि आश्रम में जगह नहीं है. इसके बाद डॉक्टर ने इंटरनेट पर मेथ वेबसाइट सर्च की। इस बीच वराह स्वामी मठ की साइट को खुला छोड़ दिया गया। जब मैंने सबसे पहले उसमें दिए गए नंबर पर कॉल किया तो कोई जवाब नहीं मिला. कुछ देर बाद डॉक्टर के मोबाइल पर उसी नंबर से कॉल आई। जब डॉक्टर ने कमरा बुक करने के लिए कहा तो उनसे 25,800 रुपये, प्रति कमरा 2,500 रुपये और दर्शन के लिए प्रति व्यक्ति 300 रुपये मांगे गए. इसके लिए डॉक्टर के मोबाइल फोन पर एक क्यूआर कोड भेजा गया. डॉक्टर ने अपने मोबाइल से क्यूआर कोड स्कैन किया और ऑनलाइन पैसे भेज दिए। कुछ देर बाद उनसे सिक्योरिटी मनी के नाम पर 15200 रुपये और मांगे गए। डॉक्टर ने गलती से सिर्फ 15 हजार रुपये ही ट्रांसफर कर दिए. इस पर जालसाजों ने पूरी रकम एक बार ही भेजने को कहा। पहले भेजा गया पैसा वापस मिलने की गारंटी थी। इस पर डॉक्टर ने पूरी रकम ऑनलाइन ट्रांसफर कर दी। जालसाजों ने उनसे अपने 15,000 रुपये वापस करने के लिए वीडियो कॉल करने को कहा। इसमें Google Pay ट्रांजैक्शन आईडी पर जाकर नंबर 17178 टाइप करने के लिए भी कहा गया है। इस दौरान जालसाजों ने डॉक्टर को झांसा देकर अपने खाते में पैसे ट्रांसफर करा लिए। दूसरी बार भी उससे इतनी ही रकम ट्रांसफर की गई। इसके बाद जब सिर्फ 720 रुपये ट्रांसफर करने को कहा गया तो डॉक्टर को शक हुआ. उसने अपना Google Pay ब्लॉक कर दिया. इसके बाद उन्होंने तुरंत नेशनल क्राइम पोर्टल पर जाकर शिकायत दर्ज कराई. अब डॉक्टर ने इसकी शिकायत सिविल लाइंस थाने में की है। इस संबंध में पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।  इंटरनेट पर बहुत सारी फर्जी वेबसाइटें हैं जालसाजों ने प्रमुख कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के नाम पर फर्जी वेबसाइटें बनाई हैं। इसके अलावा सरकारी संस्थानों के नाम पर भी फर्जी वेबसाइट हैं। जालसाजों ने मंदिरों और धार्मिक ट्रस्टों की भी ऐसी ही वेबसाइटें बनाई हैं। ये इतने मिलते-जुलते हैं कि लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे किसी फर्जी वेबसाइट पर आ गए हैं। यहां हेल्प डेस्क के नाम से मोबाइल नंबर दिया गया है. जिससे लोग आसानी से धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं.

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  डिजिटल अरेस्ट कर देशभर के 101 लोगों से करीब 70 करोड़ रुपये ठगने वाले 11 जालसाज सीबीआई और जीएसटी का अधिकारी बताकर लोगों से ठगी करते थे. पुलिस के अनुसार, गिरोह से जुड़े जालसाजों को सरगना की ओर से रोजाना सवा सौ करोड़ रुपये तक की ठगी करने का टारगेट दिया गया था. इसको लेकर रोजाना स्काईपऐप और सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों से मीटिंग भी होती थी.

साइबर थाना पलवल के प्रभारी इंस्पेक्टर नवीन ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी कम्बोडिया भी जा चुके हैं. वहां उन्होंने जालसाजी करने की एक महीने की ट्रेनिंग भी ली थी. सभी 12वीं और ग्रेजुएट हैं. गिरफ्तार आरोपियों को गिरफ्तार करने में पुलिस की टीम को करीब 15 से 20 दिन लग गए. गिरफ्तार आरोपी अश्वनी उर्फ लुसी, सोनु कुमार पासवान, रजत वर्मा, उत्कर्ष, अविश, नीरज कुमार, संजीव कुमार एवं शिवाजी मोर्या को उत्तर प्रदेश और तीन ठग-मनोज, सचिन उपाध्याय एवं यश दुबे को मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से गिरफ्तार किया गया है. पूछताछ में सामने आया है कि सभी एक-दूसरे को जानते हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे से संपर्क में रहते थे. आपस में बात करने के लिए ज्यादातर व्हाट्सऐप कॉलिंग करते थे. इनका ग्रुप कॉलिंग भी होता था. कॉलिंग के लिए सिम कार्ड का इस्तेमाल कभी-कभार की करते थे, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि वह सिम कार्ड के माध्यम से कॉलिंग पर वह पकड़े जाएंगे.

कम्बोडिया में अदालत, थाने का सेटअप बनाया जांच में सामने आया है कि मामले में चीन के नागरिक संलिप्त हैं. वह कम्बोडिया में बैठकर गिरोह चला रहे हैं. इसके अलावा भारत में रह रहे कुछ चीन नागरिक जालसाजी में सक्रिय हैं. वह बेरोजगारों को रोजगार का झांसा देकर फर्जी तरीके से बैंक खाता, सिम कार्ड आदि लेते हैं. इसके बाद कम्बोडिया में बैठे अपने सरगना को भेज रहे हैं. इंस्पेक्टर नवीन ने बताया कि जांच में समाने आया है कि कम्बोडिया में भारती में स्थित सरकारी विभागों का सेटअप तैयार किया गया है. वहां अदालत, पुलिस थाना आदि का रूप देकर कमरा तैयार किया गया है. पुलिस की वर्दी समेत जज और वकील के पोशाक भी उनके पास हैं. ठगी के दौरान वीडियो कॉलिंग पर वह पुलिस, सीबीआई, जज, वकील आदि के पौशाकों में नजर आते हैं.

चीनी और अंग्रेजी जानते हैं आरोपी पुलिस के अनुसार, सभी आरोपी चीनी, कम्बोडियन और अंग्रेजी भाषा के अच्छे जानकार हैं. जांच में पता चला कि कम्बोडिया में झारखंड, बिहार आदि राज्यों के युवक सरगना के पास स्थाई रूप से काम कर रहे हैं. वह कम्बोडिया में रह रहे हैं.

 

 

मुरादाबाद न्यूज़ डेस्क

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