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Mathura  बंदर पकड़ने के रेट दोगुने से भी अधिक, डेढ़ साल पहले 95 रुपये में उठा ठेका, इस बार 230 रुपये प्रति बंदर रखा गया है हिसाब

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उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  बंदर पकड़ने के लिए नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे अभियान के लिए बंदर पकड़ने की निविदा दोगुनी से भी अधिक दरों पर निकाल दिए जाने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. पिछली बार जहां 95 रुपये प्रति बंदर के हिसाब से ठेका दिया गया था, वहीं इस बार 230 रुपये प्रति बंदर के हिसाब से जयपुर की एक फर्म को ठेका दे दिया गया है. दोगुनी से भी अधिक दरों पर बंदर पकड़ने का ठेका दिया जाना किसी के भी गले नहीं उतर रहा है, वह भी तब जबकि पुराना ठेकेदार ठेका लेने को तैयार बैठा था, लेकिन उसे लापरवाही बरतने के आरोप में ब्लैक लिस्टेड करने का पत्र जारी कर दिया गया.

बताते चलें कि महानगर में बढ़ते बंदरों के आतंक को देखते हुए नगर निगम मथुरा-वृंदावन द्वारा 24 जुलाई 2023 को ई-टेंडर के माध्यम से बंदर पकड़ने का कार्यादेश इमरान कॉन्टेक्टर पैगांव, रोड छाता को दिया गया था. यह ठेका 95 रुपये प्रति बंदर जीएसटी के साथ था. इसमें बंदर पकड़ने से लेकर उनको छोड़ने, बंदर को पकड़ने में प्रयुक्त खाना व वाहन व्यय भी सम्मलित था. ठेकेदार द्वारा उक्त दरों पर करीब चार से पांच हजार बंदरों को पकड़ा गया. ठेकेदार द्वारा 15 मई 2024 तक बंदरों को पकड़ने का अभियान चलाया गया. इसके बाद नगर निगम को ठेकेदार ने नगर निगम को पत्र भेजते हुए बंदरों को पकड़ने का कार्य रोक दिया. पत्र में ठेकेदार ने कहा कि अप्रैल से लेकर जुलाई के महीने तक बन्दर पकड़ने का कार्य इसलिए बन्दर करना पड़ता है कि इस अवधि में बन्दरियों के पेट में बच्चे होते हैं, उस समय मादा आपने बच्चों को पैदा व जन्म देना शुरु कर देती है. इस दरम्यान अधिक गर्मी के कारण मादा पिंजरों में ही बच्चों को समय से पहले जन्म दे रही थी. समय से पहले बच्चा पैदा करने पर बन्दरों की मृत्यु व बच्चों की मृत्यु होने लगती है.

ठेकेदार को दिए गए नगर निगम के अनुबन्ध पत्र में की शर्त संख्या 10 में भी इसका उल्लेख है कि ऐसे बन्दरों जो मां पर निर्भर हैं और उनका वजन 1.8 किलोग्राम से कम है उन्हें परिवहन नहीं किया जाएगा तथा प्रेगनेन्ट एवं दुग्ध पिला रही मादा बन्दर को भी परिवहन नहीं किया जाएगा. पंरतु, इसके बाद भी अपर नगर आयुक्त द्वारा 5 अक्टूबर 2023 को ठेकेदार को यह कहते हुए नोटिस जारी कर दिया कि उसने 16 अप्रेल 2024 से बंदर पकड़ने का कार्य नहीं किया गया है. इसे लापरवाही मानते हुए उसे काली सूची में डालने की चेतावनी दे दी गयी. इसके बाद अब जयपुर की एक फर्म को 230 रुपये प्रति बंदर के हिसाब से ठेका दे दिया गया. अब महानगर में बंदरों को 230 रुपये प्रति बंदर के हिसाब से पकड़ा जा रहा है. मात्र डेढ़ वर्ष में बंदर पकड़ने की दरों में दोगुने से ज्यादा बढ़ोत्तरी होना किसी को भी हजम नहीं हो रहा है. इस मामले को लेकर निगम के पार्षद भी हतप्रभ हैं कि आखिर इतनी मनमानी दरों पर ठेका किन कारणों से दिया गया.

 

 

मथुरा न्यूज़ डेस्क

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