जयपुर नगर निगम हेरिटेज के सफाईकर्मी का एरियर 53 करोड़, वीडियो में देखें पेमेंट के लिए भेजा, 5 स्तर पर चूक हुई

राजस्थान की राजधानी जयपुर में नगर निगम हेरिटेज से जुड़ा एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक सरकारी सफाईकर्मी को एरियर के रूप में 53 करोड़ रुपये से अधिक की भारी-भरकम राशि का भुगतान करने की तैयारी थी। यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और सिस्टम की गंभीर खामी की एक बानगी बनकर सामने आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नगर निगम हेरिटेज के अधिकारियों ने यह बिल तैयार किया और पाँच स्तरों पर उसकी स्वीकृति भी दे दी गई। किसी भी स्तर पर इस रकम की असामान्यता को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई गई। यह दर्शाता है कि संबंधित विभागों में फाइलों की जांच में कितनी लापरवाही बरती जा रही है।
हालांकि, जब यह फाइल अंतिम रूप से वित्त विभाग (फाइनेंस डिपार्टमेंट) के पास पहुँची, तब जाकर अधिकारियों की नजर इस गड़बड़ी पर पड़ी। 53 करोड़ रुपये की एरियर राशि एक सफाईकर्मी के लिए स्वाभाविक रूप से असामान्य थी, जिस पर तुरंत संज्ञान लिया गया। वित्त विभाग ने न सिर्फ फाइल को तत्काल वापस भेजा, बल्कि पूरे प्रकरण को कमिश्नर के संज्ञान में भी लाया।
इस गंभीर चूक को देखते हुए, नगर निगम हेरिटेज के कमिश्नर ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। अब यह देखा जाएगा कि यह त्रुटि एक मानवीय भूल थी या फिर इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश है। कमिश्नर ने यह भी निर्देश दिए हैं कि इस मामले के साथ-साथ पूर्व में जारी किए गए सभी बड़े भुगतानों और एरियर फाइलों की भी गहराई से जांच की जाए।
सूत्रों के अनुसार, यह मामला एक सामान्य कर्मचारी के लंबे समय से लंबित वेतन एरियर से जुड़ा था, लेकिन टाइपिंग या सॉफ्टवेयर त्रुटि की वजह से राशि करोड़ों में दर्ज हो गई। चौंकाने वाली बात यह है कि इस बिल को बिना किसी आपत्ति के पाँच स्तरों पर ओके कर दिया गया, जिससे नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वित्त विभाग के सतर्क रवैये के कारण समय रहते इस गड़बड़ी को रोका जा सका, वरना सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो सकता था। इस घटना ने साफ कर दिया है कि प्रक्रियात्मक जांच-पड़ताल और जवाबदेही में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
अब सभी की निगाहें नगर निगम की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि यह गलती किन अधिकारियों की लापरवाही से हुई और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, यह भी देखा जाना बाकी है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नगर निगम क्या ठोस कदम उठाता है।