जयपुर मेटल फैक्ट्री मामले में पूर्व मंत्री खाचरियावास ने भ्रष्टाचार का लगाया आरोप, वीडियो में देखें पैदल मार्च निकालकर जताई नाराजगी
जयपुर मेटल फैक्ट्री के मामले को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने राज्य सरकार पर बड़ा भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है। रविवार को उन्होंने अपने निवास से मेटल फैक्ट्री तक सरकार के खिलाफ पैदल मार्च निकाला और मीडिया के सामने गंभीर आरोप पेश किए।
खाचरियावास ने दावा किया कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के फैसले के बाद मात्र तीन दिन में चीफ सेक्रेटरी और उद्योग सचिव के माध्यम से फैक्ट्री का कब्जा प्राइवेट कंपनी अल्केमिस्ट को सौंप दिया गया। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से जल्दबाजी और पारदर्शिता की कमी को दर्शाती है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए 45 दिन का समय था। लेकिन इस समयावधि के बावजूद फैक्ट्री का कब्जा तुरंत सौंप दिया गया, जबकि अब केवल 12 दिन बचे हैं। उन्होंने इसे गंभीर प्रशासनिक और कानूनी सवालों को जन्म देने वाला कदम बताया।
खाचरियावास ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने प्रक्रिया में जनता और संबंधित पक्षों की भागीदारी की अनदेखी की है। उनका कहना था कि इस तरह की जल्दबाजी से न केवल पारदर्शिता प्रभावित होती है, बल्कि सरकारी संस्थाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते हैं।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री ने कहा कि उनका पैदल मार्च केवल विरोध प्रकट करने के लिए नहीं है, बल्कि यह जनता को जागरूक करने और न्याय की मांग करने का प्रयास है। उन्होंने प्रशासन और राज्य सरकार से अपील की कि इस मामले में तुरंत जांच करवाई जाए और फैक्ट्री के कब्जे की प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया जाए।
विशेषज्ञों का कहना है कि एनसीएलटी और सुप्रीम कोर्ट के बीच की कानूनी प्रक्रियाओं को देखते हुए फैक्ट्री का तुरंत निजी कंपनी को सौंपा जाना असामान्य है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या राज्य प्रशासन ने नियमानुसार कार्य किया या इसमें किसी तरह की अनियमितता हुई।
स्थानीय लोगों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भी इस मामले में चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाओं से निवेशकों और जनता का भरोसा प्रभावित होता है। कुछ उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, तो इससे न्यायपालिका में भी सवाल खड़े हो सकते हैं।
राज्य सरकार की तरफ से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, सरकार यह कह सकती है कि एनसीएलटी के आदेश का पालन किया गया है और प्रक्रिया कानूनी दायरे में ही हुई है।
इस घटना ने जयपुर मेटल फैक्ट्री के संचालन और सरकारी हस्तक्षेप के तरीकों पर गंभीर चर्चा को जन्म दिया है। आगामी दिनों में राजनीतिक दल और न्यायिक संस्थाएं इस मामले में अपनी भूमिका निभा सकती हैं।

