उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क साइबर अपराधियों ने बैंक कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट कर साढ़े 13 लाख रुपये वसूल लिए. जालसाजों ने खुद को पुलिसकर्मी बताकर पीड़ित को मनी लांड्रिंग का संदिग्ध आरोपी बताया और जेल भेजने की धमकी दी.
मेन रोड जवाहर पार्क निवासी राजकुमार का कहना है कि 16 को उनके पास अनजान नंबर से फोन आया. कॉलर ने खुद को टेलीकॉम डिपार्टमेंट में कार्यरत बताया. उसने कहा कि उनके सारे मोबाइल नंबर दो घंटे के भीतर बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद उनके पास वीडियो कॉल आई. सामने दिखाई दे रहा व्यक्ति पुलिस की वर्दी में था. उसने बताया कि उनके आधार कार्ड पर एक सिम खरीदा गया है. उस सिम के खिलाफ 17 शिकायतें प्राप्त हुई हैं. पुलिसकर्मी ने कहा कि उनके नाम पर मनी लांड्रिंग का केस है. इस मामले में नरेश गोयल नाम का व्यक्ति पकड़ा गया है. उसके घर से जो डेबिट कार्ड मिला है, वह उनके नाम पर केनरा बैंक की मुंबई शाखा में खुले खाते का है. इस खाते में ढ़ाई करोड़ रुपये की ट्रांजेक्शन हुई है. आरोपियों ने तीन दिन तक अलग-अलग समय उन्हें वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट रखा. पहली बार में तीन लाख रुपये 17 को ट्रांसफर कराए. इसके अलावा उसी दिन 3.10 लाख रुपये जमा कराए. इतना ही नहीं, आरोपियों ने जुर्माना विभाग द्वारा भरने की बात कहते हुए उनकी एफडी भी तुड़वा दी. इस तरह उनसे कुल साढ़े 13 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए.
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट में ठगों द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनका नाम ड्रग्स तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और मानव अंग की तस्करी के केस में आया है. ठग फर्जी अधिकारी बनकर पीड़ित को वीडियो कॉल से जोड़ते हैं. इसके बाद केस को रफा-दफा करने की बात कहकर पीड़ित के खाते से रुपये ट्रांसफर करा लेते हैं.
ये सावधानी बरतें
● अगर कोई अनजान व्यक्ति पार्सल में ड्रग्स होने की बात कहे तो पुलिस से संपर्क करें.
● कोई व्यक्ति फोन पर मनी लॉन्ड्रिंग के केस में नाम आने की बात कहे तो विश्वास न करें.
● अगर कोई अनजान व्यक्ति किसी ग्रुप पर जोड़ता है तो उससे इसका कारण पूछें.
गाजियाबाद न्यूज़ डेस्क