Samachar Nama
×

Gaya  एड्स पीड़ित बच्चों के समक्ष शिक्षा-पोषण, युवाओं में रोजगार की समस्या
 

Gaya  एड्स पीड़ित बच्चों के समक्ष शिक्षा-पोषण, युवाओं में रोजगार की समस्या


बिहार न्यूज़ डेस्क राज्य के एड्स पीड़ित बच्चों के समक्ष सही पोषण और शिक्षा का संकट उत्पन्न हो गया है. वहीं, किशोर और युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य और रोजगार बड़ी चिंता का कारण बन गया है. बड़ी संख्या में ये बच्चे ना तो पढ़ाई कर पा रहे हैं और न ही संतुलित पोषण उन्हें मिल पा रहा है. राज्यभर में 0 से 15 आयुवर्ग के कुल 4909 एड्स पीड़ित चिन्हित किए हैं. इनमें से आधे से ज्यादा या तो पूरी तरह से अनाथ हैं अथवा माता-पिता में से कोई एक नहीं है. राज्य के अलग-अलग जिलों के 28 एआरटी सेंटरों पर रजिस्टर्ड इन बच्चों को दवाएं तो मिल रही हैं, लेकिन पोषण और शिक्षा की सही व्यवस्था नहीं हो पा रही है.

संसाधनों की कमी से इनका जीवन मुश्किलों से घिर रहा है. बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के परियोजना निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि राज्यभर में लगभग डेढ़ लाख एड्स पीड़ित चिन्हित हैं. इनमें से लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं. पुरुषों में लगभग 40 प्रतिशत किशोर से लेकर युवा हैं. एचआईवी पीड़ितों के लिए कार्य कर रही संस्था बीएनपी प्लस के अनुसार जैसे ही किसी के एड्स पीड़ित होने की जानकारी मिलती है, उनका काम छूट जाता है अथवा लोग स्वयं दूरी बनाने लगते हैं. ऐसे किशोरों के कौशल विकास अथवा किसी कार्य के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं के बराबर है. ऐसे में इनके समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न हो जा रहा है. दूसरे एड्स पीड़ितों की मानसिक स्थिति भी सही नहीं रहती. ऐसे में उनकी काउंसिलिंग बहुत जरूरी है. सुई से नशा लेना युवाओं में एड्स के प्रसार का बड़ा कारण बन गया है. एड्स सोसाइटी के एक वरीय पदाधिकारी ने बताया कि इस साल के अप्रैल से अक्टूबर तक के छह माह में राज्यभर में 67 हजार 601 एड्स पीड़ित चिन्हित किए गए हैं. इनमें लगभग 10 प्रतिशत ऐसे युवा हैं जो नशा के कारण एड्स के शिकार हुए हैं. एक ही निडल से कई लोगों के नशा करना भारी पड़ा है.

गया न्यूज़ डेस्क 
 

Share this story