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Bhagalpur संसाधनों की कमी से जूझ रही गुड़ प्रसंस्करण इकाई, एफपीओ के अधीन है इकाई 
 

Bhagalpur संसाधनों की कमी से जूझ रही गुड़ प्रसंस्करण इकाई, एफपीओ के अधीन है इकाई 


बिहार न्यूज़ डेस्क किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केविके का गुड़ प्रसंस्करण इकाई संसाधन की कमी से प्रभावित है. कृषि विज्ञान केंद्र पीपराकोठी में गुड़ प्रसंस्करण व प्रशिक्षण इकाई का शिलान्यास किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और आने वाले वर्षो में उनकी आय को दोगुना करने के के उद्देश्य से वर्ष 17 में किया गया. इसका उदघाटन भी वर्ष 17 में योग गुरु बाबा रामदेव ने किया था. यह इकाई भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं भारतीय गन्ना शोध संस्थान लखनऊ के सहयोग से स्थापित किया गया. पेराई के बाद बचे गन्ने के बचे अवशेष को जलावन के रूप में उपयोग करने के कारण लक्षित पेराई में सफल नहीं रहा है. किसी वर्ष निर्धारित लक्ष्य की गन्ना की पेराई नहीं हो पाती है. इस इकाई को स्थापित करने में करीब 50 लाख रुपये खर्च हुए. लेकिन संसाधनों की कमी से लक्ष्य के अनुरूप गन्ने की पेराई नहीं हो पाती.
पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने किसान की इस इकाई को कृषक हित के कारण इसे पीपराकोठी एफपीओ को सौंप दिया. परंतु संसाधन की कमी के कारण उत्पादन आशा के अनुरूप नहीं हुआ. जिससे यहां के किसानों को गुड़ प्रसंस्करण इकाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
क्या है इकाई की क्षमता गुड़ प्रसंस्करण इकाई की पेराई क्षमता का भरपूर उपयोग होता तो आज गन्ना उद्योग की तस्वीर अलग होती. इकाई की क्षमता एक घंटे में 10 क्विंटल गन्ना पेराई की है. परंतु संसाधन की कमी के कारण एक सीजन में मात्र 250-300 क्विंटल की पेराई होती है. जलावन पर रस पकाई का काम होता है. कमजोर स्टीम के कारण लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाती है.स्टीम से रस पकाई का काम होता तो गुड़ उत्पादन में बेतहाशा वृद्धि होती.

कहते हैं एफपीओ अध्यक्ष
पीपराकोठी एफपीओ अध्यक्ष दुर्गा सिंह ने बताया कि खड़सारी को विकसित करने का काम बिहार सरकार के जिम्मे है. यदि राज्य सरकार बिजली की आपूर्ति करती है तो स्टीम सिस्टम से रस पकाव का काम होगा. इस तकनीक से गुड़ का उत्पादन क्षमता के अनुरूप अधिक होगा. जिससे क्षेत्र के गन्ना किसानों को चीनी मिल पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा.

भागलपुर न्यूज़ डेस्क
 

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