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रिलायंस के निवेश में हुआ बड़ा झटका,बर्बाद हुई निवेश वाली क्विक कॉमर्स कंपनी,स्टाफ को भी नहीं मिली 18 महीने से सैलरी

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बिज़नस न्यूज़ डेस्क, रिलायंस के निवेश वाला इंस्टेंट डिलीवरी प्लेटफॉर्म Dunzo की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कंपनी के को-फाउंडर कबीर बिस्वास अब वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी फ्लिपकार्ट के क्विक कॉमर्स ऑपरेशन मिनट्स का नेतृत्व करेंगे। Dunzo की शुरुआत साल 2014 में एक व्हाट्सएप ग्रुप के रूप में हुई थी। इसने बेंगलुरु में पिक-अप और ड्रॉप सर्विस की शुरुआत की और फिर इसे पूरे देश में फैलाया। मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल ने साल में 2022 में Dunzo में $24 करोड़ का निवेश किया और कंपनी में सबसे बड़ा शेयरधारक बन गई। इस सौदे के जरिए रिलायंस रिटेल ने Dunzo में 25.8% हिस्सेदारी खरीदी। यह देश में हाइपरलोकल डिलीवरी की शुरुआत करने वाली कंपनी थी।लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस स्टार्टअप को गंभीर वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कंपनी के कर्मचारियों को 18 महीने से अधिक समय से वेतन नहीं मिला। बिस्वास खुद भी लंबे समय तक बिना वेतन के काम करते रहे। उनके साथी को-फाउंडर मुकुंद झा, दलवीर सूरी और अंकुर अग्रवाल पहले ही कंपनी से किनारा कर चुके थे। बिस्वास ने हाल ही में Dunzo को अलविदा कह दिया था। अब वह फ्लिपकार्ट मिनट्स को संभालेंगे। फ्लिपकार्ट और बिस्वास के प्रवक्ता ने प्रेस में जाने तक TOI के सवालों का जवाब नहीं दिया।

भारत का क्विक कॉमर्स सेक्टर
भारत के क्विक कॉमर्स सेक्टर में इसने हाल में एंट्री मारी है जहां उसका मुकाबला ब्लिंकिट, जेप्टो, Dunzo और स्विगी इंस्टामार्ट से है। देश में क्विक कॉमर्स का मार्केट साल 2026 तक 20 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। स्विगी के इंस्टामार्ट, जोमैटो के ब्लिंकिट और जेप्टो ने खुद को अच्छी तरह बाजार में स्थापित कर लिया है जिससे Dunzo को एक अलग पहचान बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। रणनीतिक गलतियां, वित्तीय कुप्रबंधन और परिचालन चुनौतियों की एक श्रृंखला इसके के पतन का कारण बनी।Dunzo ने 15-20 मिनट की किराने की डिलीवरी सेवा डंजो डेली को जोर-शोर से आगे बढ़ाया। कंपनी का मासिक खर्च 100 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया। इसकी वजह आईपीएल का महंगे प्रायोजन और मार्केटिंग अभियान थे। इससे कंपनी की नकदी की खपत बहुत ज्यादा हो गई। जैसे-जैसे कंपनी का नकदी भंडार कम होता गया और फंडिंग भी कम होती गई। इस बीच फ्लिपकार्ट ने कंपनी को खरीदने का प्रस्ताव दिया था लेकिन निवेशकों ने इसका विरोध किया।

कैसे बर्बाद हुई कंपनी
रिलायंस रिटेल भी Dunzo में अतिरिक्त पूंजी लगाने से दूर रही। वित्तीय दबाव बढ़ने के साथ ही कंपनी की आंतरिक स्थिरता चरमरा गई। को-फाउंडर दलवीर सूरी और मुकुंद झा सहित 5 बोर्ड सदस्य चले गए। कर्मचारियों को महीनों तक वेतन में देरी का सामना करना पड़ा और इस दौरान कई बार छंटनी हुई। वित्त वर्ष 2023 में कंपनी का घाटा तीन गुना बढ़कर 1,800 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया जबकि रेवेन्यू चार गुना बढ़कर 226 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी पर करीब 6 करोड़ डॉलर का कर्ज है। इस बीच बिस्वास ने भी Dunzo को बाय-बाय कर दिया और इसके साथ ही कंपनी की बची-खुची उम्मीदें भी खत्म हो गई।

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