दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति गरमा गई है। आज आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राजधानी में जाट समुदाय को नौकरियों में आरक्षण और उचित अवसर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है। अरविंद केजरीवाल ने उस पत्र में लिखा है कि मैं प्रधानमंत्री मोदी को उनके 10 साल पहले किए गए वादे की याद दिलाना चाहता हूं।
आप नेता अरविंद केजरीवाल ने आगे लिखा कि हाल ही में मैंने जाट समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उन्होंने केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल न किए जाने पर चिंता जताई। उन्होंने लिखा कि जाट समुदाय ने उन्हें बताया है कि 26 मार्च 2015 को दिल्ली में जाट समुदाय के प्रतिनिधियों से वादा किया गया था कि उन्हें केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल किया जाएगा, लेकिन वह वादा पूरा नहीं किया जा सका।
दिल्ली में केंद्रीय नौकरियों में जाटों के लिए आरक्षण नहीं
अरविंद केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि जाट दिल्ली की ओबीसी सूची में शामिल हैं लेकिन केंद्र की सूची में नहीं हैं। दिल्ली के जाट समुदाय को दिल्ली के केंद्रीय विद्यालयों, कॉलेजों या नौकरियों में अवसर नहीं मिलते।
पिछले 10 वर्षों में केंद्र की भाजपा सरकार ने दिल्ली के जाट समुदाय को चार बार ओबीसी आरक्षण देने का वादा किया, लेकिन इसे पूरा नहीं किया। दिल्ली के जाट समुदाय को भी केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने यूपी चुनाव से पहले 8 फरवरी 2017 को चौधरी वीरेंद्र सिंह के आवास पर एक बैठक बुलाई थी। इस दौरान उन्होंने यह वादा भी किया था कि जाट समुदाय को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल किया जाएगा, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी अमित शाह ने दिल्ली में भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के घर पर जाट नेताओं से मुलाकात की थी और यही वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
दिल्ली में जाट समुदाय को लेकर भाजपा गंभीर नहीं
अपने पत्र में अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि भाजपा पिछले दस सालों से दिल्ली के जाट समुदाय को धोखा दे रही है। उन्होंने कहा कि न केवल जाट बल्कि रावत, रौनियार, राय तंवर, चारण और ओड जातियों के साथ भी इसी तरह से धोखा किया गया है। केंद्र सरकार उन्हें दिल्ली स्थित अपने संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है।
दिल्ली में केंद्र सरकार की 7 यूनिवर्सिटी हैं, उनके अधीन कई कॉलेज हैं, दिल्ली के हजारों युवा दिल्ली पुलिस, एनडीएमसी, डीडीए, एम्स, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया जैसी केंद्रीय संस्थाओं में अन्याय झेल रहे हैं। इन जातियों के युवाओं को शिक्षा और रोजगार के उचित अवसर नहीं मिल रहे हैं। इसलिए केंद्र सरकार को इस विसंगति को दूर करना चाहिए। मैं आपके उत्तर की प्रतीक्षा करूंगा।