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यहां पढ़ें भगवान श्रीराम के बारे में सुनी अनसुनी कथाएं

Shree ram katha ayodhya and untold stories about lord rama

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: प्रभु श्रीराम के बारे में कौन नहीं जानता हैं भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम मर्यादापुरुषोत्तम हैं रामायण महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि ने अपने ग्रंथ में लिखा है कि श्रीराम में वैदिक सनातन धर्म की आत्मा कहे जाने वाले सभी गुण विद्यमान हैं श्रीराम को पुरुषों में सबसे उत्तम पुरुष यानी ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ भी कहते हैं तो आज हम आपको श्रीराम से जुड़ी कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

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त्रेतायुग में जन्में प्रभु श्रीराम अयोध्या के महाराज दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न राम के भाई थे। प्रभु राम की माता कौशल्या थी और शेश सुमित्रा और कैकयी के पुत्र थे। श्रीराम का विवाह मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री सीता के साथ हुआ था। लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला, शत्रुघ्न की पत्नी श्रुतकीर्ति और भरत की पत्नी मांडवी थी। विवाह के बाद श्रीराम को राजा दशरथ ने रानी कैकयी के कहने पर 14 वर्ष के लिए वनवास भेज दिया था क्योंकि एक वचन के अनुसार कैकेयी राजा दशरथ से कुछ भी मांग सकती थी तो रानी कैकेयी ने दासी मंदोदरी के उकसाने पर भरत को अयोध्या का राजा बनाने और श्रीराम को वनवास देने की इच्छा जताई और पिता की आज्ञा का पालन करके श्रीराम सीता और लक्ष्मण के साथ वन की ओर चले गए। 

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 ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से भगवान विष्णु ने संसार की भलाई के लिए कई अवतार लिए हैं। भगवान विष्णु द्वारा कुल दस अवतार लिए गए जिसमें से श्रीराम सातवें अवतार माने जाते हैं और यह अवतार भगवान विष्णु के सभी अवतारों में से सबसे अधिक पूज्यनीय माना जाता हैं। श्रीराम के बारे में महर्षि वाल्मीकि द्वारा अनके कथाएं लिखी गई हैं। वालमीकि के अलावा प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास ने भी श्रीराम के महत्व को लोगों को समझाया हैं श्रीराम ने कई ऐसे महान कार्य किए हैं जिसने हिंदू धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया हैं। 

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श्री विष्णु ने राम बनकर असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया। रीराम ने मातृ पितृ भक्ति के चलते अपने पिता राजा दशरथ के एक आदेश पर 14 साल तक वनवास काटा। नैतिकता, वीरता, कर्तव्यपरायणता के जो उदाहरण भगवान राम ने प्रस्तुत किए वह बाद में मानव जीवन के लिए मार्गदर्शक बन गए। 
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