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श्राद्ध के दिनों में क्या सच में कौओं के रूप में भोजन ग्रहण करते हैं पितृजन, जानिए मान्यताएं

Shraddha paksha do our ancestors really come to eat food in the form of crows learn these reasons why

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: पंचांग के मुताबिक अनंत चतुर्दशी के अगले ही दिन से पितृपक्ष आरंभ हो जाता हैं श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 15 दिनों तक चलता हैं धार्मिक तौर पर पितृपक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हैं।

pitru paksha 2020: धन प्राप्ति के लिए श्राद्ध पक्ष में करें इन चीजों का दानइस वर्ष यह पितृपक्ष 20 सितंबर 2021 दिन सोमवार यानी की आज से आरंभ हो चुका हैं और 6 अक्टूबर दिन बुधवार तक रहेगा। श्राद्ध पक्ष में मान्यता है कि इस दौरान पितृ कौओं के रूप में आपके यहां आते हैं और श्राद्ध का भोजन करके तृप्त होते हैं तो आज हम आपको इन सभी मान्यताओं के बारे में और इनसे जुड़े रहस्यों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

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शास्त्र अनुसार कहा गया है कि कौए और पीपल पितृ के रूप हैं इन दिनों कौए को खाना खिलाकर और पीपल को पानी पिलाकर पितृों को तृप्त किया जाता हैं श्राद्ध में कौए को छत पर जाकर अन्न, जल देना बहुत ही पुण्य का काम होता हैं शास्त्र अनुसार कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती हैं कौए को अतिथि आगमन का सूचक और पितृों का आश्रय स्थल माना गया हैं

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आश्रय स्थल यानी कई पुण्यात्मा कौए के रूप में जन्म लेकर उचित समय और गर्भ का इंतजार करती हैं। ऐसा भी कहा जाता हैं कि जब प्राण निकल जाते हैं तो सबसे पहले आत्मा कौए का रूप ही धारण करती हैं मान्यता है कि कौआ यमराज का प्रतीक हैं और हमारे पितृ यमलोक में ही रहते हैं अगर कौआ आपके श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर ले तो समझो आपके पितृ आपसे प्रसन्न और तृप्त हैं और अगर नहीं करें तो समझो कि आपके पितृ आपसे नाराज और अतृप्त हैं। 

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कहा जाता है कि एक बार एक कौए ने माता सीता के पैरों में चोंच मार दी थी, जिससे उनके पैर में घाव हो गया था। यह देखकर श्रीराम ने अपने बाण से उस कौए की आंख फोड़ दी थी। बाद में कौए को पछतावा हुआ तो श्रीराम ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि तुमको खिलाया हुए भोजन से पितृ तृप्त होंगे। यह कौआ और कोई नहीं देवराज इंद्र के पुत्र जयंती थे। तभी से कौओं को भोजन खिलाने का महत्व बढ़ गया। 

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