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राजस्थान का पुष्कर क्यों बना देश-विदेश के श्रद्धालुओं का पसंदीदा स्थल, 3 मिनट के शानदार वीडियो में जानें धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन महत्व

 

राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित पुष्कर शहर, आज न केवल देशवासियों बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र बनता जा रहा है। कभी शांत, आध्यात्मिक और सिर्फ तीर्थ यात्रियों तक सीमित पुष्कर, अब तेजी से एक ऐसे हॉटस्पॉट में बदल रहा है जहां आस्था, अध्यात्म और रोमांच का अनोखा संगम देखने को मिलता है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/5jOBnya9J4w?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/5jOBnya9J4w/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="पुष्कर का इतिहास, मान्यता, सनातन धर्म में महत्व, विश्व में ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर, पवित्र सरोवर" width="695">

आध्यात्मिकता का केंद्र: ब्रह्मा मंदिर की अद्भुत महिमा

पुष्कर को सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि दिलाने वाला स्थान है ब्रह्मा मंदिर, जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित दुनिया के बेहद कम मंदिरों में से एक है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में सृष्टि की रचना के बाद यहीं यज्ञ किया था। यही कारण है कि यह शहर हिंदू आस्था का अनमोल केंद्र बन गया है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु केवल ब्रह्मा जी के दर्शन के लिए आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दौरान यह मंदिर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा होता है।

पवित्र सरोवर: पुष्कर झील का महत्व

पुष्कर में स्थित पुष्कर झील न सिर्फ देखने में सुंदर है, बल्कि इसका आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व भी गहरा है। यह झील 52 घाटों से घिरी हुई है, जिनमें गौ घाट, ब्रह्मा घाट, यज्ञ घाट प्रमुख हैं। मान्यता है कि इस झील में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहां की आरती का दृश्य बेहद अलौकिक होता है।

विदेशी पर्यटकों के लिए आध्यात्मिक आकर्षण

पुष्कर का माहौल न केवल भारतीय श्रद्धालुओं को लुभाता है, बल्कि यह विदेशी पर्यटकों का भी पसंदीदा स्थल बन चुका है। यहां का शांत वातावरण, योग-सत्र, ध्यान केंद्र और आयुर्वेदिक उपचार केंद्र अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को विशेष रूप से आकर्षित करते हैं। कई विदेशी यहां हफ्तों तक ठहरकर योग, मेडिटेशन और भारतीय संस्कृति का गहन अनुभव लेते हैं।

पुष्कर मेला: संस्कृति और परंपरा का भव्य संगम

पुष्कर को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने वाला आयोजन है पुष्कर का वार्षिक मेला। यह मेला आमतौर पर कार्तिक पूर्णिमा के आसपास आयोजित होता है, और इसे दुनिया का सबसे बड़ा पशु मेला भी कहा जाता है। यहां ऊंटों की खरीद-बिक्री, पारंपरिक नृत्य, लोक संगीत, प्रतियोगिताएं और स्थानीय हस्तशिल्पों की झलक मिलती है। यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि संस्कृति और पर्यटन के लिहाज़ से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कैफे कल्चर और हिप्पी स्टाइल मार्केट

हाल के वर्षों में पुष्कर का एक नया चेहरा सामने आया है — बूटीक कैफे, रूफटॉप रेस्टोरेंट्स और रंग-बिरंगे बाजारों वाला। यहां के बाजारों में विदेशी पर्यटक खास रुचि दिखाते हैं, जहां राजस्थानी परिधान, चांदी के आभूषण, हिप्पी एक्सेसरीज और हस्तशिल्प खूब बिकते हैं। गुलाब की पंखुड़ियों से बने उत्पाद और ऊँट की खाल से बनी वस्तुएं भी पर्यटकों को खूब लुभाती हैं।

आध्यात्म और रोमांच का अनोखा मेल

हाल ही में पुष्कर में धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ एडवेंचर टूरिज्म का भी विस्तार हुआ है। पर्यटक अब यहां हॉट एयर बलून राइड्स, ट्रैकिंग, कैमल सफारी और जंगल कैम्पिंग जैसी गतिविधियों का भी आनंद ले रहे हैं। यह बदलाव पुष्कर को सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि क्लासिक स्पिरिचुअल-एडवेंचर डेस्टिनेशन में बदल रहा है।

धर्म से आगे बढ़ता पर्यटन का स्वरूप

पुष्कर के तेजी से बढ़ते पर्यटन को देख कर साफ कहा जा सकता है कि यह शहर अब धार्मिक आस्था से आगे बढ़कर एक संपूर्ण पर्यटन स्थल बन चुका है। यहां धार्मिकता, संस्कृति, संगीत, कला, खान-पान और साहसिक गतिविधियों का ऐसा मेल है जो हर आयु वर्ग के लोगों को आकर्षित करता है।