अब हिमस्खलन में नहीं गंवानी पड़ेगी जवानों की जान, सेना और IIT कानपुर ने मिलकर विकसित की लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस
दुर्गम पहाड़ी इलाकों में तैनात भारतीय सेना के जवानों को अब हिमस्खलन (Avalanche) जैसे जानलेवा हादसों में जान गंवाने का खतरा कम होगा। भारतीय सेना और IIT कानपुर ने मिलकर एक नई तकनीकी डिवाइस विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है, जिससे बर्फ में दबे जवानों को तेजी से खोजकर उनकी जान बचाना संभव हो सकेगा।
इस डिवाइस से प्रकाशमान द्रव्य (luminous substance) निकलेगा, जो जवान की लोकेशन तुरंत बताने में मदद करेगा।
क्या है यह डिवाइस और कैसे काम करेगी?
नई डिवाइस को ऐसे डिज़ाइन किया गया है कि जैसे ही कोई जवान हिमस्खलन के दौरान बर्फ में दबता है, यह उपकरण अपने आप सक्रिय हो जाता है और एक विशेष प्रकार का प्रकाश उत्पन्न करता है, जो दूर से भी डिटेक्ट किया जा सकता है।
यह तकनीक जवान की सटीक लोकेशन को ट्रैक करने में मदद करेगी, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में समय की बचत होगी और जीवन बचाने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाएंगी।
सेना और IIT कानपुर की संयुक्त पहल
इस अत्याधुनिक तकनीक को विकसित करने के लिए भारतीय सेना और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के बीच एक साझा समझौता हुआ है। दोनों संस्थानों के वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ मिलकर डिवाइस के प्रोटोटाइप पर काम कर रहे हैं।
IIT कानपुर के प्रवक्ता के अनुसार,
"यह एक क्रांतिकारी कदम है जो न केवल सैनिकों की सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर भी बनाएगा।"
पहाड़ी सीमाओं पर राहत
भारत की सीमाएं कई ऐसे क्षेत्रों से जुड़ी हैं जहां बर्फबारी और हिमस्खलन आम हैं — जैसे सियाचिन ग्लेशियर, कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश। हर साल कई सैनिक बर्फ में दबकर शहीद हो जाते हैं, क्योंकि उनकी समय पर लोकेशन पता नहीं चल पाती।
नई डिवाइस इन सभी क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण के रूप में इस्तेमाल होगी।
फील्ड ट्रायल्स जल्द शुरू होंगे
डिवाइस का प्रोटोटाइप लगभग तैयार है और अगले कुछ महीनों में इसका फील्ड ट्रायल शुरू किया जाएगा। परीक्षण सफल रहने पर इसे सेना में सामूहिक रूप से तैनात किया जाएगा।