स्मार्ट सिटी मिशन में बड़ा अंतर: आगरा में 978 करोड़ खर्च हुए, लेकिन सरकार बता रही 2369 करोड़
सरकार की बहुप्रचारित स्मार्ट सिटी मिशन को लेकर एक बड़ा वित्तीय असंतुलन सामने आया है। आगरा को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर जहां स्थानीय अधिकारियों के अनुसार 978 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, वहीं सरकार के आधिकारिक आंकड़े इस खर्च को करीब ढाई गुना ज्यादा यानी 2369 करोड़ रुपये बता रहे हैं। यह बड़ा अंतर अब सवालों के घेरे में आ गया है।
राज्यसभा में उठा मुद्दा
राज्यसभा सांसद नवीन जैन ने संसद में आगरा में स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत चल रहे कार्यों और वित्तीय खर्च को लेकर सवाल उठाया था। इसके जवाब में शहरी कार्य मंत्रालय में राज्यमंत्री तोखन साहू ने सोमवार को बताया कि आगरा स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा कुल 62 योजनाओं पर 2369 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
स्थानीय आंकड़े कुछ और कहते हैं
हालांकि आगरा नगर निगम और स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े स्थानीय अधिकारियों का दावा है कि अब तक करीब 978 करोड़ रुपये ही व्यय किए गए हैं, जिससे शहर में प्रमुख रूप से सड़कों का पुनर्निर्माण, पार्कों का सौंदर्यीकरण, सीवरेज व्यवस्था सुधार, स्मार्ट स्कूल और सिटी कमांड कंट्रोल सेंटर जैसे कार्य हुए हैं।
कहां से आया ये खर्चों का फर्क?
इस सवाल का जवाब न तो स्थानीय प्रशासन के पास है और न ही सरकार ने अभी तक इसका स्पष्ट विवरण साझा किया है। क्या आंकड़ों में कोई गड़बड़ी है? या फिर कुछ योजनाओं को दोबारा जोड़ा गया है? ये तमाम सवाल अब शहरवासियों के साथ-साथ निगरानी एजेंसियों के सामने भी खड़े हो गए हैं।
आगरा स्मार्ट सिटी के प्रमुख कार्य:
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ताजगंज जोन में सौंदर्यीकरण
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स्मार्ट सड़कों और एलईडी लाइट्स का निर्माण
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सिटी कमांड कंट्रोल सेंटर
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कचरा प्रबंधन और ड्रेनेज सुधार
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स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल लाइब्रेरी
पारदर्शिता पर उठे सवाल
इस खर्चे के अंतर को लेकर विपक्षी दलों और स्थानीय सामाजिक संगठनों ने पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर वाकई 2369 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, तो उसका ठोस हिसाब-किताब और सार्वजनिक ऑडिट होना चाहिए ताकि आम जनता को पता चल सके कि पैसा कहां खर्च हुआ।