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26 राज्यों में Cyber Gang ने लगाया 719 करोड़ का चूना! दुबई और चीन तक फैला था जाल, जाने पर्दाफाश की पूरी कहानी 

 

गुजरात पुलिस ने साइबर क्राइम के इतिहास में एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जिसमें ₹719 करोड़ के इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड मामले में बैंक स्टाफ समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई गांधीनगर में साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस द्वारा की गई टेक्निकल जांच के आधार पर की गई। अब तक इस मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

पुलिस के मुताबिक, इस गैंग ने देश भर में साइबर फ्रॉड पीड़ितों से लूटे गए पैसे को म्यूल बैंक अकाउंट में जमा किया। इसके बाद यह पैसा चेक विड्रॉल, ऑनलाइन ऐप, क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन और हवाला (अनौपचारिक मनी ट्रांसफर) नेटवर्क के ज़रिए दुबई और चीन में मौजूद एक साइबर सिंडिकेट के सदस्यों को ट्रांसफर किया गया। इन आरोपियों और विदेशी साइबर गैंग के बीच सीधे कनेक्शन का भी खुलासा हुआ है।

देश भर के 130 अलग-अलग पेयी अकाउंट से कुल ₹719 करोड़ 1447 अलग-अलग ट्रांजैक्शन में इंडसइंड बैंक की भावनगर ब्रांच के 110 म्यूल बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए। इसके बाद यह पैसा इंटरनेशनल साइबर नेटवर्क में भेजा गया। पुलिस जांच में यह भी पता चला है कि इस गैंग ने भारत के 26 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 1594 साइबर फ्रॉड किए।

इनमें महाराष्ट्र में 300 मामले, तमिलनाडु में 203, कर्नाटक में 194, तेलंगाना में 128, गुजरात में 97, केरल में 91, उत्तर प्रदेश में 88, दिल्ली में 74, आंध्र प्रदेश में 64, पश्चिम बंगाल में 60, राजस्थान में 42 और अन्य राज्यों में 253 मामले शामिल हैं। इन मामलों में इन्वेस्टमेंट फ्रॉड, डिजिटल फ्रॉड, UPI फ्रॉड, लोन फ्रॉड और फिशिंग कॉल जैसे साइबर क्राइम शामिल हैं।

आरोपियों ने लोगों को फंसाने और उनके बैंक अकाउंट खाली करने के लिए कई तरीके अपनाए। गिरफ्तार आरोपियों से 30 से ज़्यादा क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट और 14 मोबाइल फोन ज़ब्त किए गए हैं। पुलिस का कहना है कि ज़ब्त किए गए डिजिटल सबूतों की फोरेंसिक जांच चल रही है, जिससे इस नेटवर्क के बारे में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। गुजरात पुलिस का दावा है कि टेक्निकल एनालिसिस और ट्रांजैक्शन ट्रेल के ज़रिए पूरे नेटवर्क का पता लगाया गया है। अब इंटरनेशनल लेवल पर गैंग के अन्य सदस्यों का पता लगाने की तैयारी चल रही है। इस ऑपरेशन को देश भर में साइबर फ्रॉड नेटवर्क के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी जांच में से एक माना जा रहा है।