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श्रीकाकुलम मंदिर भगदड़ : 11 घायलों का इलाज जारी, 15 को मिली छुट्टी

 

अमरावती, 2 नवंबर (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सत्य कुमार यादव ने रविवार को कहा कि राज्य के श्रीकाकुलम जिले में वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़ में घायल हुए 11 लोगों का इलाज चल रहा है, जबकि 15 अन्य को छुट्टी दे दी गई है।

कासिबुग्गा कस्बे के मंदिर में मची भगदड़ में कम से कम आठ महिलाओं और एक लड़के की मौत हो गई। कई अन्य लोगों को चोटें आईं या उन्हें साँस लेने में तकलीफ हुई।

स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, पलासा किडनी रिसर्च सेंटर और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती लोगों को सर्वोत्तम उपचार दिया गया।

15 घायलों को, जो पूरी तरह ठीक हो गए, घर भेज दिया गया है। 11 घायलों का पलासा सामुदायिक अस्पताल में इलाज चल रहा है। दो या तीन को छोड़कर, बाकी सभी को तीन दिनों के भीतर छुट्टी मिलने की संभावना है।

मंत्री ने कहा कि डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ उनका इलाज करने में सतर्क हैं। एक घायल को सर्जरी के लिए श्रीकाकुलम के जेम्स अस्पताल रेफर किया गया है।

इस बीच, राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों के बीच मुआवजा वितरित कर दिया है।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू और राज्य के कृषि मंत्री के. अत्चन्नायडू ने पीड़ितों के परिवारों को 15-15 लाख रुपए के चेक सौंपे। ये पीड़ित तेक्काली निर्वाचन क्षेत्र के नंदीगाम मंडल के तीन गांवों के रहने वाले थे।

केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए की सहायता राशि भी प्रदान करेगी।

उन्होंने पीड़ितों के परिवारों को आश्वासन दिया कि राज्य और केंद्र सरकार उनके साथ खड़ी है। मंत्री अत्चन्नायडू ने मीडियाकर्मियों से कहा कि भगदड़ दुर्भाग्यपूर्ण है।

मृतकों के परिवारों को हर संभव सहायता का आश्वासन देते हुए, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगी कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

भगदड़ तब मची जब मंदिर का द्वार खुलने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करने के लिए दौड़ पड़े, जबकि एक अन्य समूह उसी द्वार से बाहर निकलने के लिए उसी द्वार का उपयोग कर रहा था।

कार्तिक मास के साथ एकादशी का पर्व होने के कारण यह त्रासदी और भी भयावह हो गई, जिसमें भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस बीच, पुलिस ने घटना के संबंध में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

पुलिस के अनुसार, मंदिर एक निजी प्रतिष्ठान है और बिना उचित अनुमति के चल रहा था। आयोजकों ने कार्यक्रम आयोजित करने से पहले स्थानीय पुलिस को सूचित नहीं किया और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया।

हालांकि, मंदिर के संस्थापक हरि मुकुंद पांडा ने कहा कि इस त्रासदी के लिए उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। 94 वर्षीय पांडा ने कहा कि भक्तगण भीड़ के दौरान अपनी इच्छा से आगे बढ़ गए थे।

उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पुलिस को सूचित नहीं किया था क्योंकि उन्हें लगा था कि सब कुछ सामान्य रहेगा और शनिवार को इतनी बड़ी भीड़ की उम्मीद नहीं थी।

--आईएएनएस

एससीएच