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जोधपुर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल में लापरवाही, 13 साल के खिलाड़ी को चढ़ा दिया गलत ब्लड, एक्सक्लूसिव वीडियो में देंखे बच्चे की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

 

शहर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल से एक बार फिर चौंकाने वाली चिकित्सकीय लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां भर्ती 13 वर्षीय बॉस्केटबॉल खिलाड़ी को डॉक्टरों ने A पॉजिटिव की जगह B पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया। गनीमत रही कि बच्चे की सतर्कता से समय रहते गलती पकड़ी गई, वरना यह बड़ी चिकित्सकीय त्रासदी में बदल सकती थी। जानकारी के अनुसार, बालक को बीते दिन हॉस्पिटल में सामान्य उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सलाह दी। जब नर्सिंग स्टाफ ने बच्चे को ब्लड चढ़ाना शुरू किया, तो उसने ब्लड पैकेट पर नजर डालते हुए कहा — “यह मेरा ब्लड ग्रुप नहीं है, मेरा ग्रुप A पॉजिटिव है, जबकि पैकेट पर B पॉजिटिव लिखा है।”

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बच्चे की इस बात से डॉक्टर और स्टाफ तुरंत सतर्क हो गए। आनन-फानन में ड्रिप हटाक  ब्लड चढ़ाने की प्रक्रिया रोकी गई और मेडिकल टीम ने बच्चे का आपात उपचार शुरू किया। फिलहाल मरीज की हालत स्थिर और खतरे से बाहर बताई जा रही है। घटना सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया। महात्मा गांधी हॉस्पिटल के अधीक्षक ने बताया कि मामले की प्राथमिक जांच शुरू कर दी गई है और जिम्मेदार कर्मचारियों की पहचान की जा रही है। उन्होंने कहा, “यह गंभीर लापरवाही है। मामले की निष्पक्ष जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जो 24 घंटे में रिपोर्ट सौंपेगी।”

सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में ब्लड बैंक और नर्सिंग स्टाफ के बीच समन्वय की कमी सामने आ रही है। यह भी जांचा जा रहा है कि ब्लड पैकेट की पहचान और सत्यापन की प्रक्रिया में कहां चूक हुई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस घटना को चिकित्सकीय प्रोटोकॉल का सीधा उल्लंघन बताते हुए कहा कि किसी भी मरीज को ब्लड चढ़ाने से पहले कम से कम तीन बार क्रॉस-वेरिफिकेशन किया जाना आवश्यक है — एक बार ब्लड बैंक में, दूसरी बार डॉक्टर द्वारा, और तीसरी बार नर्सिंग स्टाफ द्वारा। अस्पताल में हुई इस चूक ने फिर एक बार सरकारी चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों ने भी इस मामले पर नाराज़गी जताई है और कहा कि यदि बच्चे ने खुद ध्यान नहीं दिया होता तो उसका जीवन खतरे में पड़ सकता था।

अस्पताल प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए सुरक्षा मानकों को और सख्त किया जाएगा। फिलहाल 13 वर्षीय खिलाड़ी का उपचार जारी है और वह खतरे से बाहर है। डॉक्टरों का कहना है कि समय रहते ब्लड ट्रांसफ्यूजन रोक दिए जाने से उसकी सेहत पर कोई गंभीर असर नहीं पड़ा है। यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सतर्कता और प्रोटोकॉल का पालन कितना जरूरी है, और कभी-कभी एक मासूम की जागरूकता भी बड़ी त्रासदी को टाल सकती है।