वीडियो में देंखे जयपुर में कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली उत्सव श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया
राजधानी जयपुर में बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। पूरे शहर में धार्मिक उत्साह और सामाजिक उमंग का माहौल देखने को मिला। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ गलतीजी के कुंडों में आस्था की डुबकी लगाने और आराध्य श्री गोविंददेवजी मंदिर में मंगला झांकी के लिए उमड़ी।
जयपुर आराध्य श्री गोविंददेवजी मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर रास पूर्णिमा उत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंदिर परिसर में विशेष वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राधा-गोविंद का अभिषेक किया गया। साथ ही ठाकुर और श्रीजी को सुनहरे पार्चे की लप्पा जामा पोशाक धारण कराई गई, जिससे श्रद्धालुओं में उत्साह और भक्ति की भावना चरम पर पहुंच गई।
मंगला झांकी के लिए सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे। भक्तों ने धूमधाम से दर्शन किए और भक्ति गीतों और मंत्रोच्चार में भाग लिया। मंदिर प्रांगण में सजावट और रोशनी ने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया।
गलतीजी के कुंडों में भी इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। उन्होंने पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने परिवार और स्वयं के लिए सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की। स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति द्वारा सुरक्षा और व्यवस्था के व्यापक प्रबंध किए गए थे, ताकि श्रद्धालुओं को आसानी से दर्शन और आस्था का अनुभव प्राप्त हो सके।
विशेषज्ञों और धार्मिक आयोजकों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में शामिल हैं। कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु और उनके अवतारों से जुड़ी धार्मिक परंपराओं के तहत स्नान और पूजा का महत्व है, जबकि देव दीपावली को अयोध्या में भगवान राम के लौटने के स्मरण में मनाया जाता है। जयपुर में भी यह पर्व धार्मिक भक्ति और सामाजिक मेलजोल का प्रतीक बन चुका है।
इस अवसर पर मंदिर प्रशासन ने भक्तों के लिए विशेष व्यवस्थाओं का प्रबंध किया। मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ही भजन, कीर्तन और रासलीला कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। मंदिर परिसर में सजावट और रंग-बिरंगी रोशनी ने पूरी रात उत्सव का आनंद भक्तों को दिया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली का यह पर्व धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक उत्सव और सामाजिक मेलजोल का संगम है। इस अवसर पर शहरभर में मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा सकती है।
जयपुर में इस बार भी यह पर्व बड़ी भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया गया, जिसने न केवल धार्मिक माहौल को प्रगाढ़ किया बल्कि लोगों के मन में विश्वास और भक्ति की भावना को भी प्रबल किया।