आखिर क्यों भारत के इस गांव में भगवान की तरह होती है बिल्लियों की पूजा ? कारण जानकर हैरत में पड़ जाएंगे आप
भारत में हजारों मंदिर हैं और हर मंदिर की अपनी-अपनी खासियत है। आपको बता दें कि भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों से लेकर पहाड़, नदी आदि सभी की पूजा की जाती है। यहां लोग न सिर्फ देवी-देवताओं की पूजा करते हैं बल्कि उनके वाहनों की भी पूजा करते हैं। आपने अक्सर मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा होते हुए देखा होगा। लेकिन भारत में एक अनोखा मंदिर है जहां बिल्लियों की पूजा की जाती है। ऐसा एक-दो साल से नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से हो रहा है।
यह अनोखा मंदिर कर्नाटक में है
यह अनोखा मंदिर कर्नाटक राज्य के मांड्या जिले में है। इस मंदिर का नाम बेक्काले है। ऐसा कहा जाता है कि इस गांव में लोग पिछले 1000 सालों से बिल्लियों की पूजा करते आ रहे हैं। यहां के लोगों का मानना है कि बिल्ली देवी का अवतार है। इसी वजह से यहां उनकी पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। यहां के लोग बिल्लियों को देवी मंगम्मा का रूप मानते हैं।
कर्नाटक में बिल्ली मंदिर
मृत्यु होने पर पूरे रीति-रिवाज के साथ दाह-संस्कार किया जाता है।यह मंदिर पिछले 1000 साल से बेक्काले गांव में मौजूद है। इस गांव के लोग देवी मंगम्मा को अपनी कुल देवी मानते हैं। इसी वजह से अगर गांव में कोई बिल्लियों को नुकसान पहुंचाता है तो उसे गांव से बाहर निकाल दिया जाता है। इस गांव में अगर कोई बिल्ली मर जाती है तो उसका पूरे समारोह के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है।
इस तरह इसकी शुरुआत हुई
लोगों का कहना है कि सैकड़ों साल पहले यह पूरा गांव बुरी शक्तियों से त्रस्त था। जब बुरी शक्तियों का आतंक चरम पर पहुंच गया तो मां मंगम्मा ने बिल्ली का रूप धारण कर बुरी शक्तियों को भगाया। जब देवी मंगम्मा इस गांव से अचानक गायब हो गईं तो उन्होंने यहां अपनी छाप छोड़ी। बाद में उसी स्थान पर एक मंदिर बनाया गया और बिल्लियों की पूजा की जाने लगी।