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सोशल मीडिया में इसलिए फेमस हुआ ये जूता, वजह जानकर रह जाएंगे दंग

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आज के डिजिटल युग में जब कोई मुद्दा जनता को झकझोरता है, तो सबसे पहले वह सोशल मीडिया के ज़रिए चर्चा में आता है। लोग अपने विचार, विरोध और समर्थन के स्वर ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी प्लेटफॉर्म्स पर खुलकर रखते हैं। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें एक जूते की डिजाइन को लेकर सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छिड़ गई है

यह कोई आम जूता नहीं है, बल्कि दुनिया के हाई-प्रोफाइल फैशन ब्रांडों में से एक 'गोल्डन गूज' (Golden Goose) द्वारा डिजाइन किया गया एक स्नीकर है, जिसकी कीमत लगभग 530 डॉलर यानी करीब 38,000 रुपये है। लेकिन इसकी सबसे हैरान करने वाली बात इसकी डिजाइन है, जो जानबूझकर पुरानी, फटी और घिसी हुई दिखने वाली बनाई गई है।

कैसा है ये विवादित जूता?

‘गोल्डन गूज’ ब्रांड ने जिस स्नीकर को लॉन्च किया है, उसकी तस्वीरें देखकर कोई भी यह कह सकता है कि यह किसी गरीब व्यक्ति का फटा-पुराना जूता है। इस जूते के चारों ओर "क्रम्पल्ड टेप" (Crumply Tape) चिपकाई गई है, जो दिखने में ऐसा प्रतीत होती है कि जूता टूट गया हो और उसे जोड़ने के लिए टेप लगाई गई हो। कंपनी इसे "डिस्ट्रेस्ड फैशन" (Distressed Fashion) का हिस्सा बता रही है, लेकिन आम लोग इसे गरीबी का मजाक कह रहे हैं।

सोशल मीडिया पर भारी विरोध

इस जूते की तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। ट्विटर यूजर @joonlee ने जब इसकी कीमत और डिजाइन को लेकर ट्वीट किया तो उनके पोस्ट को लाखों लोगों ने देखा और रीट्वीट किया। उन्होंने लिखा:

“अगर किसी जूते की डिजाइन में लिखा हो ‘crumply, hold-it-all tape details a sneaker’ और उसकी कीमत $530 हो, तो हमें वाकई सोचने की ज़रूरत है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं।”

इस एक ट्वीट ने दुनिया भर में बहस को जन्म दे दिया। कई यूजर्स ने इस जूते को "गरीबी का ग्लैमराइजेशन" करार दिया। उनका कहना है कि अमीरों के लिए फटे-पुराने दिखने वाले कपड़े या जूते एक फैशन ट्रेंड हो सकते हैं, लेकिन असल में ये गरीबों के जीवन संघर्ष का अपमान है।

ब्रांड को झेलना पड़ा आलोचना का सामना

गोल्डन गूज जैसे लग्जरी ब्रांड को कभी इस तरह के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा था। सोशल मीडिया पर हो रही आलोचनाओं के चलते उन्हें अपनी वेबसाइट से जूते की तस्वीरों को कुछ समय के लिए हटाना पड़ा। हालांकि कंपनी ने अब तक कोई आधिकारिक माफी नहीं मांगी है, लेकिन फैशन इंडस्ट्री में इस घटना ने एक नैतिक बहस को जन्म दे दिया है।

फैशन बनाम संवेदनशीलता

यह पहला मौका नहीं है जब किसी फैशन ब्रांड ने विवादित डिजाइनों के जरिए लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई हो। इससे पहले भी कई बार कंपनियों ने जानबूझकर "डिस्ट्रेस्ड" लुक वाले कपड़े या एक्सेसरीज़ बनाए हैं, जिनमें घिसे हुए जींस, फटे कपड़े, या गंदे दिखने वाले शूज़ शामिल होते हैं। अमीर तबके के लिए ये ट्रेंड हो सकते हैं, लेकिन जब वही चीजें असल ज़िंदगी में किसी गरीब की मजबूरी होती हैं, तो सवाल उठता है – क्या ये फैशन है या मज़ाक?

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इस जूते की आलोचना करने वालों का कहना है कि जो हालत एक गरीब व्यक्ति के जूते की मजबूरी होती है, वही जब कोई बड़ा ब्रांड करोड़ों में बेचता है तो उसे "हाई फैशन" कहा जाता है। ये दोहरे मापदंड साफ तौर पर दर्शाते हैं कि कैसे गरीबों की जिंदगी की असलियत को एक ट्रेंड बना दिया जाता है।

बाजार पर असर

इस विवाद के बाद गोल्डन गूज ब्रांड को आलोचना के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा है। उनकी वेबसाइट पर इस मॉडल की बिक्री में गिरावट आई है। कई फैशन ब्लॉग्स और रिव्यू प्लेटफॉर्म्स ने इस डिजाइन को "बेहद असंवेदनशील और स्वादहीन" बताया है।

निष्कर्ष

यह घटना सिर्फ एक जूते की कहानी नहीं है, बल्कि यह बताती है कि आज का फैशन कितना संवेदनशील या असंवेदनशील हो सकता है। जब कंपनियां सिर्फ ध्यान खींचने और अलग दिखने के लिए ऐसे डिजाइन बनाती हैं, जो किसी की गरीबी या दर्द की नकल हो, तो यह समाज के उस हिस्से का मजाक उड़ाना होता है, जो पहले ही हाशिए पर है।

अंतिम बात

फैशन अगर कला है, तो उसमें संवेदनशीलता, सहानुभूति और सामाजिक जिम्मेदारी का होना भी ज़रूरी है। सिर्फ अलग दिखने के लिए ऐसे डिजाइनों का चलन न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि यह उस मूल उद्देश्य के भी खिलाफ है, जो फैशन को आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाता है। आने वाले समय में उम्मीद की जानी चाहिए कि ब्रांड्स लोगों की भावनाओं को समझकर ही अपने डिज़ाइन तय करें।

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