ये है राजस्थान का ऐसा चमत्कारी मंदिर, जिसके दर्शन से मात्र से रातों-रात करोड़पति हो जाते है भक्त
देश में कई स्थान आध्यात्मिक और धार्मिक रूप से प्रसिद्ध हैं। इनके पीछे कई कहानियां हैं. ऐसा ही राजस्थान का पिलानी शहर है, जो अपने इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए प्रसिद्ध है।झुंझुनू का एक ऐसा प्रसिद्ध स्थान जहां सैकड़ों वर्ष पहले पंडित गणेश नारायण ने तपस्या की अलख जगाई थी। आज वह स्थान पूरे जिले में बावलिया बाबा की तपोस्थली के नाम से जाना जाता है। यह जगह कई सालों तक बंजर थी. पिछले कुछ समय से इसका नवीनीकरण किया जा रहा है। आज हम आपको बावलिया बाबा की तपोस्थली के बारे में जानकारी देंगे जिसे पूरे झुंझुनू में भगीनिया जोहड़ के नाम से भी जाना जाता है। पंडित गणेश नारायण ने यहां तपस्या करते हुए लोगों को अपने अद्भुत चमत्कार दिखाए हैं। बावलिया बाबा के अलावा सैकड़ों ऐसे साधु-महात्मा हुए हैं जिन्होंने इस स्थान पर तपस्या की है।
पंडित गणेश नारायण बुगाला से गुढ़ा गोरजी तक पैदल चलकर चिड़ावा के इस हिस्से में पहुंचने वाले पहले व्यक्ति थे। पहले इस स्थान पर एक कच्चा तालाब था। वहां पंडित गणेश नारायण स्नान करके पहाड़ी के पास एक केर के पेड़ के नीचे बैठकर सूर्य नमस्कार और तपस्या करते थे। पिलानी के जुगल किशोर बिड़ला उनकी तपस्या, प्रसिद्धि से बहुत प्रभावित हुए। वह अक्सर उनके पास आते थे और उनकी सेवा करते थे।
इस स्थान के बारे में जानकारी देते हुए रविकांत शर्मा ने बताया कि पंडित गणेश नारायण बावलिया के आशीर्वाद से ही जुगल किशोर बिड़ला एक समृद्ध व्यक्ति बने। प्रारंभ में उन्हें चक्रवर्ती सम्राट बनने का आशीर्वाद प्राप्त था। लेकिन उस समय बिड़ला वहां से नहीं गए, वे वापस गणेश नारायण के पास आ गए. इसके बाद पंडित गणेश नारायण ने उन्हें आशीर्वाद देकर वापस भेजा। फिर जुगल किशोर बिड़ला ने अपना बिजनेस शुरू किया. इसमें उन्हें अच्छी समृद्धि मिली और धीरे-धीरे बिड़ला देश के सबसे बड़े उद्योगपति घराने का नाम बन गया।
जुगल किशोर बिड़ला पंडित गणेश नारायण को पिलानी ले जाना चाहते थे लेकिन पंडित जी इसके लिए तैयार नहीं थे। पंडितजी ने बिड़लाजी से यह जरूर कहा कि वे पिलानी को शिक्षा नगरी के रूप में देख रहे हैं। चिड़ावा उनकी शिवपुरी है। अत: आप चिड़ावा में ही रहकर तपस्या करेंगे। आज हर कोई जानता है कि पिलानी देश की प्रसिद्ध शिक्षा नगरी है, तब से लेकर आज तक लोग पंडित गणेश नारायण की मान्यताओं को मानते हुए उनकी लगातार पूजा कर रहे हैं। पं. नारायण की तपोस्थली एक बहुत अच्छे पार्क के रूप में विकसित हो रही है। लोग अपनी आस्था लेकर वहां पहुंचते हैं. उनकी पूजा और सेवा की जा रही है.