पापियों पर एक बूंद पानी नहीं गिराता ये झरना, जानें कैसे होता हैं ये चमत्कार, वीडियो में देखें दुनिया की सबसे लंबी नदी के बनने की कहानी
उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां की खूबसूरत वादियां हर किसी का मन मोह लेती हैं। देवभूमि उत्तराखंड में अनेक तीर्थ स्थल एवं धार्मिक आस्था के स्थान हैं। जहां हर साल हजारों लोग तीर्थयात्रा और तीर्थयात्रा के लिए आते हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड में कई प्राकृतिक झरने भी हैं जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे झरने के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद खूबसूरत है लेकिन इस झरने की खास बात यह है कि यह रहस्यमयी है। क्योंकि इस झरने का जल पापी मनुष्यों पर नहीं पड़ता।
ऐसा माना जाता है कि पापियों के स्पर्श मात्र से ही चमोली जिले के बद्रीनाथ में झरना गिरना बंद हो जाता है। आपको शायद इस बात पर यकीन न हो लेकिन ये बिल्कुल सच है. दरअसल, बद्रीनाथ से करीब 8 किलोमीटर दूर और भारत के आखिरी गांव माणा से पांच किलोमीटर दूर समुद्र तल से 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस अद्भुत झरने को वसुधारा के नाम से जाना जाता है, जिसका उल्लेख शास्त्रों में भी है। यह झरना बहुत ही पवित्र माना जाता है जो कई रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए है। यह झरना लगभग 400 फीट की ऊंचाई से गिरता है और इसकी निर्मल धारा सफेद मोतियों की तरह दिखती है, जो बेहद खूबसूरत है।
रहस्यमयी जलप्रपात वसुधारा
यहां आकर लोगों को ऐसा महसूस होता है मानो वे स्वर्ग पहुंच गए हों। इस झरने का खूबसूरत मोती जैसा जाल यहां आने वाले लोगों को स्वर्ग का एहसास कराता है। इस झरने की खास बात यह है कि इस झरने का पानी इसके नीचे जाने वाले हर व्यक्ति पर नहीं पड़ता है। कहा जाता है कि इस जल की बूंदें पापियों के शरीर पर नहीं गिरती हैं। ग्रंथों में कहा गया है कि पंच पांडवों में से सहदेव ने यहीं पर अपने प्राण त्यागे थे। ऐसा माना जाता है कि अगर इस झरने के पानी की एक बूंद भी किसी व्यक्ति पर गिर जाए तो समझ लें कि वह नेक इंसान है। जिसके कारण देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु यहां आते हैं और इस अद्भुत और चमत्कारी झरने के नीचे एक बार जरूर खड़े होते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि इस झरने का पानी कई जड़ी-बूटियों वाले पौधों को छूता हुआ गिरता है, जिसमें कई हर्बल तत्व होते हैं, इसलिए जिस व्यक्ति पर इसका पानी गिरता है उसका शरीर हमेशा के लिए स्वस्थ हो जाता है ऐसा माना जाता है कि आठ वसुओं (आप यानी अयज, ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्यूष और प्रभाष) ने यहां कठोर तपस्या की थी, इसलिए इस झरने का नाम वसुधारा है। यह झरना इतना ऊंचा है कि इसे पहाड़ की चोटी से एक नजर में नहीं देखा जा सकता।