आखिर क्यों इस मंदिर में क्यों उल्टे खड़े हैं पवन पुत्र? वीडियो में जानें इसकी रोचक कहानी
देश में जितने भगवान राम के मंदिर हैं, लगभग उतने ही उनके भक्त बजरंगबली के भी हैं। हनुमान जी का नाम जपने से भक्त को संकटों से मुक्ति मिल जाती है। देश में हनुमान जी के कई चमत्कारी मंदिर हैं। उन्हीं में से एक है हनुमान जी का मंदिर। यहां हनुमान जी सिर के बल उल्टे खड़े हैं। इस प्राचीन मंदिर में स्थापित बजरंगबली की मूर्ति संभवतः दुनिया की एकमात्र ऐसी मूर्ति है जिसमें उल्टे खड़े हनुमान का स्वरूप है। यह मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है।
इसके विपरीत हनुमान जी का यह प्रसिद्ध मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर सांवेर गांव में हनुमान विराजे उलटे हैं. इस मंदिर में मौजूद पवनपुत्र की इस अद्भुत प्रतिमा को देखने के लिए देश भर से भक्त आते हैं। मंदिर में हनुमान जी के साथ-साथ भगवान राम, सीता माता, लक्ष्मण जी और शिव-पार्वती जी की भी मूर्तियां हैं। इंदौर पहुंचने के बाद सड़क मार्ग से सांवेर स्थित उल्टे हनुमानजी मंदिर के दर्शन के लिए आसानी से पहुंचा जा सकता है।
वहीं हनुमान मंदिर के बारे में किवदंतियां हैं कि अगर कोई व्यक्ति लगातार 3 या 5 मंगलवार तक बजरंगबली के दर्शन कर ले तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। मंगलवार के दिन हनुमानजी को मंदिर में चोला चढ़ाने की मान्यता है। मंदिर में स्थित हनुमान मूर्ति बहुत चमत्कारी मानी जाती है।
दूसरी ओर, यह माना जाता है कि हनुमान मंदिर की स्थापना रामायण काल के दौरान की गई थी जब भगवान राम और रावण युद्ध कर रहे थे। उस समय अहिरावण अपना रूप बदलकर भगवान राम की सेना में शामिल हो गया। इसके बाद रात के समय जब सभी लोग सो रहे थे तो अहिरावण ने अपनी मायावी शक्ति से श्रीराम और लक्ष्मण को बेहोश कर दिया और उन्हें अपने साथ पाताल लोक ले गया। जब वानर सेना को इस बात का पता चला तो हाहाकार मच गया।
जब हनुमान जी को इस बात का पता चला तो वे अहिरावण की तलाश में पाताल लोक पहुंचे, वहां बजरंगबली ने अहिरावण का वध किया और भगवान राम और अनुज लक्ष्मणजी को वापस ले आये। ऐसा माना जाता है कि शाम के समय हनुमान जी पाताल लोक गए थे। जब हनुमान जी पाताल में प्रवेश कर रहे थे तो उनके पैर आकाश की ओर और सिर पृथ्वी की ओर था। इस वजह से हनुमान जी की मूर्ति को उल्टे रूप में स्थापित किया गया