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इस मंदिर में मकर संक्रांति पर होता है अद्भुत चमत्कार, स्वयं सूर्यदेव करते हैं भगवान शिव की पूजा!

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भारत चमत्कारों और आस्था की भूमि है। यहां कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो अपनी रहस्यमय घटनाओं और मान्यताओं के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित कोटितीर्थ महादेव मंदिर। इस मंदिर में हर साल मकर संक्रांति के दिन एक अद्भुत चमत्कार होता है, जिसे देखने हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि इस दिन स्वयं सूर्यदेव भगवान शिव की पूजा करते हैं।

यह मंदिर स्थापत्य और आस्था दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्षभर यह एक साधारण शिव मंदिर की तरह दिखाई देता है, लेकिन मकर संक्रांति के दिन यहां कुछ ऐसा होता है, जो विज्ञान भी आज तक नहीं समझ सका है। जब मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होते हैं, उस दिन प्रातः काल जैसे ही सूर्य की पहली किरण निकलती है, वह सीधा मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग पर पड़ती है। यह दृश्य ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं सूर्यदेव भगवान शिव का जलाभिषेक कर रहे हों।

इस चमत्कार को लेकर स्थानीय पुजारी बताते हैं कि यह घटना हजारों वर्षों से होती आ रही है। इस विशेष संयोग पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है और भक्त ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हैं। भक्तों का मानना है कि इस दिन यहां दर्शन करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और सभी दुखों का अंत होता है।

मंदिर की वास्तुकला भी अद्भुत है। इसे इस तरह बनाया गया है कि साल में केवल एक दिन, मकर संक्रांति पर ही सूर्य की किरणें सीधे शिवलिंग पर गिरती हैं। वैज्ञानिकों और वास्तुशास्त्रियों ने कई बार इस संरचना का अध्ययन किया है लेकिन यह रहस्य आज भी पूरी तरह नहीं सुलझ पाया है कि इतनी सटीकता से यह निर्माण प्राचीन काल में कैसे संभव हुआ।

हर साल मकर संक्रांति के दिन सुबह से ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। भक्त सूर्योदय से पहले ही मंदिर परिसर में एकत्र हो जाते हैं। जैसे ही सूर्य की किरणें शिवलिंग पर गिरती हैं, पूरा वातावरण ‘हर हर महादेव’ और ‘ॐ सूर्याय नमः’ के जयघोष से गूंज उठता है। इस पल को लोग अपने जीवन का सबसे शुभ क्षण मानते हैं।

यह चमत्कार केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य भी है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह स्थान स्वयं सिद्ध है और यहां भगवान शिव और सूर्यदेव की विशेष कृपा विद्यमान है। मकर संक्रांति के दिन इस मंदिर में दर्शन करने से जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य और शांति मिलती है।

इस मंदिर का यह अलौकिक दृश्य आज भी विज्ञान के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह भगवान शिव की दिव्य लीला और सूर्यदेव की सच्ची भक्ति का प्रतीक है। हर साल इस पावन अवसर पर कोटितीर्थ महादेव मंदिर में उमड़ने वाली भीड़ यह साबित करती है कि आस्था आज भी विज्ञान से कहीं आगे खड़ी है।

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