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‘pollution से निपटने को लाए गए कानून का स्वागत’

विशेषज्ञों और स्वच्छ वायु कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक आयोग गठित करने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने आयोग के फैसलों और आदेशों के बेहतर कार्यान्वयन की उम्मीद भी की। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण लगातार तेजी से बढ़ रहा है। इससे निपटने
‘pollution से निपटने को लाए गए कानून का स्वागत’

विशेषज्ञों और स्वच्छ वायु कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक आयोग गठित करने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने आयोग के फैसलों और आदेशों के बेहतर कार्यान्वयन की उम्मीद भी की।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण लगातार तेजी से बढ़ रहा है। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए एक नया कानून बनाया है, जो कि यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

केंद्र ने पांच साल तक की जेल की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान रखते हुए यह अध्यादेश जारी किया है। इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बुधवार रात जारी किया गया था।

अधिसूचना के अनुसार, आयोग पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) का स्थान लेगा, जिसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मामलों में सर्वोच्च निगरानी निकाय के रूप में गठित किया था।

ईपीसीए के अध्यक्ष भूरे लाल ने एक बयान में कहा, “हम इस कदम का स्वागत करते हैं, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से क्षेत्र में विषाक्त प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र सरकार की मंशा और ²ढ़ संकल्प को दर्शाता है।”

आईआईटी-दिल्ली में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिसर्च एंड क्लीन एयर के संस्थापक अरुण दुग्गल ने भी इस कदम का स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि आयोग पूरी तरह से सशक्त होगा और इसमें सरकार, वैज्ञानिक समुदाय, व्यवसाय, उद्योग, नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) और अन्य नागरिक शामिल होंगे।

दुग्गल ने आईएएनएस से कहा, “मैं यह भी सिफारिश करता हूं कि आयोग को वायु प्रदूषण को कम करने और प्राप्त परिणामों में उनके योगदान के बारे में वार्षिक रूप से अपने स्वयं के प्रदर्शन की समीक्षा करनी चाहिए।”

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि अध्यादेश के साथ प्रमुख मुद्दा तब होगा, जब इसे लागू करने की बात होगी, क्योंकि ईपीसीए के पास लगभग समान शक्तियां थीं, लेकिन यह लागू होने के बाद भी हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इसकी स्थापना के 20 से अधिक वर्ष बीत जाने के बावजूद बेहतर परिणाम नहीं मिल सके।

दहिया ने कहा, “यह सवाल है कि यह एक सकारात्मक कदम है या महज एक व्याकुलता और बेकार की कवायद है। इस बात का तब पता चलेगा जब अध्यादेश का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन होगा और देखा जाएगा कि प्रदूषण फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी या नहीं।”

दिल्ली के एक युवा पर्यावरणविद् आदित्य दुबे ने कहा, “वायु प्रदूषण और पराली जलाने से निपटने के लिए एक बहुत ही शक्तिशाली कानून बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के आभारी हैं।”

उन्होंने केंद्र सरकार से आयोग के लिए तुरंत प्रभाव से चेयरपर्सन को नियुक्त करने और इसे कार्यशील बनाने का भी अनुरोध किया।

दुबे के साथ तृतीय वर्ष के कानून के छात्र अमन बांका, जो कि पराली जलाने के खिलाफ एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं, उन्होंने कहा, “हम वायु प्रदूषण पर एक नया कानून बनाने व एक समिति के गठन के लिए नए आदेश का स्वागत करते हैं। हम इसके बेहतर क्रियान्वयन की उम्मीद करते हैं।”

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण से निपटने के लिए एक कानून बनाने का आश्वासन दिया गया था। सरकार की ओर से दिए आश्वासन के बाद यह अध्यादेश लाया गया, जो एनसीआर में वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक स्थायी निकाय स्थापित करने का प्रस्ताव करता है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि सरकार दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए एक कानून बनाएगी।

अध्यादेश के अनुसार, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आस-पास के क्षेत्रों के लिए एक वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग स्थापित किया जाएगा। पराली जलाने, वाहनों के प्रदूषण के मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा धूल-मिट्टी से होने वाले प्रदूषण और अन्य सभी कारक, जो दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता में बड़ा कारण बनते हैं, उनके संबंध में भी अनुचित कदम उठाए जाएंगे।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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