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झुंझुनूं : जवानों को शहादत:शहीदों की मास्क बटालियन; क्योंकि कोरोना के खिलाफ मास्क लगाना भी सबसे बड़ी देशसेवा

जिले के खुडानिया गांव में राजस्थान के करीब 1170 ऐसे शहीदों की प्रतिमाएं तैयार हो रही हैं। जो 1999 से पहले शहीद हुए, लेकिन किन्हीं कारणों से उनकी प्रतिमाएं नहीं लग पाई।राजस्थान का झुंझुनूं जिला देश को सबसे ज्यादा सैनिक देता है। हर युद्ध और आतंकी हमले में यहां के जवानों ने शहादत देकर एक
झुंझुनूं : जवानों को शहादत:शहीदों की मास्क बटालियन; क्योंकि कोरोना के खिलाफ मास्क लगाना भी सबसे बड़ी देशसेवा

जिले के खुडानिया गांव में राजस्थान के करीब 1170 ऐसे शहीदों की प्रतिमाएं तैयार हो रही हैं। जो 1999 से पहले शहीद हुए, लेकिन किन्हीं कारणों से उनकी प्रतिमाएं नहीं लग पाई।राजस्थान का झुंझुनूं जिला देश को सबसे ज्यादा सैनिक देता है। हर युद्ध और आतंकी हमले में यहां के जवानों ने शहादत देकर एक अनूठी मिसाल पेश की है। ये शहीद कोरोना महासंकट में भी आमजन को देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने का संदेश दे रहे हैं।

सैनिक कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रेमसिंह बाजौर की पहल पर यह प्रतिमाएं खुडानिया के मूर्तिकार वीरेंद्रसिंह शेखावत तैयार कर रहे हैं। पिछले ढाई साल में वे 300 से अधिक प्रतिमाएं तैयार कर चुके हैं। कोरोना संकट के बीच वीरेंद्रसिंह ने मास्क की अहमियत का संदेश देने के लिए इन सभी प्रतिमाओं को मास्क लगाए हैं। जो वाकई में लोगों को प्रेरणा दे रही हैं। वीरेंद्रसिंह बताते हैं कि सैनिकों और शहीदों से हमें देशसेवा की प्रेरणा मिलती है।

मौजूदा संकट में मास्क लगाना भी देश के प्रति सबसे बड़ी जिम्मेदारी व सेवा है। ऐसे में शहीदों की इस बटालियन के जरिए उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि यहां से गुजरने वाले लोग इन्हें देखकर रुकते हैं। जब उनकी नजर इन पर लगे मास्क पर पड़ती है तो वे समझ जाते हैं कि देश के ये शहीद क्या कहना चाहते हैं।

2017 में इसकी शुरूआत हुई। झुंझुनूं जिले के धनूरी गांव से प्रेमसिंह बाजौर ने धनूरी गांव से शहीद सम्मान यात्रा शुरू की थी। तब सामने आया कि प्रदेश में ऐसे कई शहीद हैं। जिनकी प्रतिमाएं नहीं लग पाई। जिस पर बाजौर ने शुरूआत की और मूर्ति बनाने का काम वीरेंद्रसिंह को सौंपा।

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