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दुर्ग : अनुमति के बाद के हालात ; 486 में 116 बसें और 22 ट्रेनों में 3 चल रहीं, सिटी बसें अब भी लॉक

शासकीय और निजी दफ्तर पूरी तरह खुल चुके हैं। सौ फीसदी उपस्थिति के आदेश जारी किए जा चुके हैं। ऐसे में एक शहर से दूसरे शहर जाकर नौकरी करने वालों की परेशानी बढ़ गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि जिले में परमिट प्राप्त 486 बसों में से सिर्फ 116 बसें ही इन दिनों
दुर्ग  : अनुमति के बाद के हालात ; 486 में 116 बसें और 22 ट्रेनों में 3 चल रहीं, सिटी बसें अब भी लॉक

शासकीय और निजी दफ्तर पूरी तरह खुल चुके हैं। सौ फीसदी उपस्थिति के आदेश जारी किए जा चुके हैं। ऐसे में एक शहर से दूसरे शहर जाकर नौकरी करने वालों की परेशानी बढ़ गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि जिले में परमिट प्राप्त 486 बसों में से सिर्फ 116 बसें ही इन दिनों चल रही हैं।
आमतौर पर हर दिन अप और डाउन दोनों दिशा से 22 मेमू और पैसेंजर ट्रेनें दौड़ती थीं, इनमें से सिर्फ 3 लोकल ट्रेनें ही चल रही हैं। वह भी सिर्फ और सुबह और शाम। कार्यालयीन समय में कोई भी लोकल, पैसेंजर या फिर मेमू या डेमू ट्रेन नहीं है। सिटी बसें तो अभी भी सुपेला में बने यार्ड से बाहर नहीं निकली हैं। जिले में बसें संचालित करने के लिए कलेक्टर ने 28 मई को ही आदेश जारी कर दिया है। इसकी सूचना सभी बस ऑपरेटरों को भी दी जा चुकी है। फिर भी अभी तक सिर्फ एक तिहाई बसें ही सड़कों में लौटी हैं। उनमें भी बस के ड्राइवरों और कंडक्टरों की मनमर्जी चल रही है। अपनी मर्जी के अनुसार यात्रियों से मनमाना किराया ले रहे हैं। साथ ही यात्रियों से अभद्रता पूर्वक व्यवहार भी कर रहे हैं।
दैनिक यात्री संघ के अध्यक्ष श्रवण यदु ने बताया कि भिलाई पावर हाउस और दुर्ग रेलवे स्टेशन से हर दिन करीब 11 हजार दैनिक यात्रियों का आना जाना होता है। इनमें से करीब आधे लोग दूसरे शहरों से भिलाई और दुर्ग आते हैं।
शहर के भीतर चलने वाले यात्रियों के लिए सिटी बसों की सेवाएं शुरू की गई थी। यह करीब सालभर से बंद है। सुपेला स्थित चंदूलाल चंद्राकर बस स्टैंड में 70 बसें रखी गई हैं। इनमें से 56 बसों को शहर में विभिन्न स्थानों पर दौड़ने के लिए परमिट जारी किया गया है।शहर में और शहर के बाहर निजी कंपनियां दो और तीन शिफ्टों में चल रही हैं। यहां काम करने वाले अधिकांश कर्मचारी अपने वाहनों का उपयोग कर रहे हैं। गाड़ियां शेयर कर रहे हैं। शासकीय दफ्तरों और स्कूलों में पढ़ाने वाले सहायक शिक्षक, व्यााख्याता, उप प्राचार्य, प्रभारी प्राचार्य और प्राचार्य टैक्सी या ऑटो का उपयोग कर रहे हैं।
जिले सहित पूरे प्रदेश में यात्री बसों के परिचालन को अनुमति दे दी गई है। इसके बाद भी प्रायवेट बस संचालकों द्वारा पूर्व में निर्धारित बसों का परिचालन शुरू नहीं किया जा रहा। न ही शासन-प्रशासन इसे लेकर गंभीर है। इसकी वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने वाले सबसे ज्यादा परेशान हैं। लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए रायपुर से डोंगरगढ़ के बीच चलने वाली मेमू, लोकल और पैंसजर ट्रेनों को 30 जून तक रद्द किया गया है। रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड से इसका आदेश जारी किया गया है।
पिछले दिनों यात्रियों की संख्या काफी कम रही है। शायद इसकी वजह से कम बसें ही बाहर आई हैं। हमारी ओर से सभी बस संचालकों को 28 मई को बसें संचालित करने का आदेश जारी किया गया है।
आदेश जारी की जा चुकी है। बसें चलाने के लिए बस संचालकों से लगातार बातचीत जारी है। हमारी कोशिश है कि जल्द ही लोगों को इसकी सुविधा मिले। सिटी बस संचालन को लेकर भी जल्द बैठक की जाएगी। ताकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था में जल्दी सुधार हो सके।

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