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रोहतास : सरकार ने दावा किया था कि पटना की 94% सड़कें दुरुस्त कर दी गई, लेकिन मेयर व पार्षदों ने कहा-ये झूठ

नगर विकास विभाग के स्तर पर समीक्षा बैठक में दावा किया गया है कि करीब 94 फीसदी सड़कों को दुरुस्त कर लिया गया है। वहीं, मेयर सीता साहू और तमाम वार्ड पार्षदों ने कहा कि ये बड़ा झूठ है। अभी 70 फीसदी से अधिक सड़कें ठीक नहीं हो पाई हैं। दरअसल, नमामि गंगे परियोजना के
रोहतास :  सरकार ने दावा किया था कि पटना की 94% सड़कें दुरुस्त कर दी गई, लेकिन मेयर व पार्षदों ने कहा-ये झूठ

नगर विकास विभाग के स्तर पर समीक्षा बैठक में दावा किया गया है कि करीब 94 फीसदी सड़कों को दुरुस्त कर लिया गया है। वहीं, मेयर सीता साहू और तमाम वार्ड पार्षदों ने कहा कि ये बड़ा झूठ है। अभी 70 फीसदी से अधिक सड़कें ठीक नहीं हो पाई हैं।
दरअसल, नमामि गंगे परियोजना के तहत राजधानी में 623 किलोमीटर सड़कों को काटे जाने की बात कही गई है। इसमें से 591 किलोमीटर सड़कों को ठीक कर लिए जाने का दावा किया गया है। लेकिन, जलजमाव की स्थिति से निपटने की तैयारी का जायजा लेने के लिए घूम रहे जनप्रतिनिधियों के सामने आम लोग भी साफ कह रहे है कि स्थिति बहुत नहीं सुधारी है।वार्ड पार्षदों का कहना है कि 70 फीसदी सड़कों को ठीक किए जाने के नाम पर खोदी गई मिट्‌टी को वापस डालकर छोड़ दिया गया है। इससे पक्की सड़कें कच्ची हो चुकी हैं। दलदल जैसी स्थिति बनी है। गाड़ियां फंस रही हैं। लोगों को कीचड़ पार करने के क्रम में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ।
शहर में नमामि गंगे परियोजना के तहत आठ सीवरेज नेटवर्क प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इन प्रोजेक्ट के तहत सीवरेज नेटवर्क बिछाने के लिए सड़कें लगातार खोदी जा रही हैं। बेउर से लेकर पाटलिपुत्र कॉलोनी, कंकड़बाग, करमलीचक व पहाड़ी नेटवर्क से जुड़े इलाकों में सड़कों को खोदने के बाद उसको रिस्टोर करने का कार्य पूरा नहीं हो सका है।
मई माह तक नमामि गंगे प्रोजेक्ट को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार 570 किलोमीटर सड़कों को खोदा गया था। वहीं, सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 15 दिनों में 53 किलोमीटर अतिरिक्त सड़कों की खुदाई कर दी गई है। सड़कें जिस रफ्तार से खोदी जा रही हैं, उस रफ्तार से उनको रिस्टोर करने का कार्य नहीं हो पा रहा है। नगर विकास विभाग व बुडको की ओर से 15 जून तक हर हाल में सड़कों को ठीक करने का आदेश सभी नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत काम करने वाली एजेंसी को दिया गया।
नमामि गंगे परियोजना के तहत खोदी गई अधिकांश सड़कों को गाड़ी चलने लायक यानी मोटरेबल बना दिया गया है। रिस्टोर करने की प्रक्रिया को अलग माना जाता है। इस बाबत एनआईटी के प्रो. संजय कुमार ने बताया कि किसी भी सड़क को किसी परियोजना के लिए लिए जाने के समय में जिस प्रकार की स्थिति होती है, उसी स्थिति में लाना रिस्टोर किया जाना है। रिस्टोर तब माना जाता है, जब डीपीआर को पूरी तरह से लागू कर दिया जाए। नमामि गंगे परियोजना के तहत चल रहे कार्य को लेकर इस प्रकार की स्थिति आने तक रेस्टोरेशन की प्रक्रिया को पूरा हुआ नहीं माना जा सकता है।

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