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जानिये कैसे की जा सकती है निमोनिया बीमारी की पहचान

निमोनिया का पता लगाने के लिए तीन प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। ये हैं सीबीसी, छाती का एक्सरे और बलगम की जांच। सीबीसी में टोटल ब्लड काउंट देखा जाता है। अगर उसमें रेड ब्लड सेल्स यानी आरबीसी नॉर्मल रेंज 12,000 से ज्यादा निकलता है तो निमोनिया हो सकता है। अगर एक्सरे में छाती में सफेद धब्बे दिखें, तो भी यह निमोनिया की ओर इशारा करता है।
जानिये कैसे की जा सकती है निमोनिया बीमारी की पहचान

 

जयपुर । निमोनिया यह बीमारी लंग्स इन्फेक्शन की होती है । यह ज्यादा तर बच्चों और बूढ़ों में होती है । यह बीमारी ज़्यादातर सर्दी में ही परेशान करती है । कई लोगों को तो यह पता भी नही चल पाता ही की उनको यह बीमारी हो गई है । हाल ही में यह बीमारी स्वर कोकिला यानि लता मंगेशकर जी को भी हुई है ।जानिये कैसे की जा सकती है निमोनिया बीमारी की पहचान

आज हम अपक्पो बताने जा रहे हैं की कैसे इस बीमारी के लक्षणो की पहचान की जाये और इतना ही नही इसका इलाज़ क्या है इस बात की भी जानकारी आज हम आपको देने जा रहे हैं । यदि इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया जाये त्योह यह बीमारी जानलेवा भी बन सकती है । आइये जानते हैं इस बारे में ।जानिये कैसे की जा सकती है निमोनिया बीमारी की पहचान

क्या है इस बीमारी के लक्षण ?

निमोनिया होने के बाद फेफड़ों में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है। इसके अलावा तेज बुखार, खांसी के साथ हरे या भूरे रंग का गाढ़ा बलगम आना, कभी-कभी हल्का-सा खून भी और सांस लेने में दिक्कत निमोनिया की ओर इशारा करते हैं। इन लक्षणों के अलावा और भी कई लक्षण हैं, जिनमें
दांत किटकिटाना,दिल की धड़कन का बढ़ना,सांस लेने की रफ्तार बढ़ना, उलटी, दस्त,भूख न लगना,होंठों का नीला पड़ना,बहुत ज्यादा कमजोरी लगना और बेहोशी छाना जैसे लक्षण शामिल हैं।जानिये कैसे की जा सकती है निमोनिया बीमारी की पहचान

निमोनिया का पता लगाने के लिए तीन प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। ये हैं सीबीसी, छाती का एक्सरे और बलगम की जांच। सीबीसी में टोटल ब्लड काउंट देखा जाता है। अगर उसमें रेड ब्लड सेल्स यानी आरबीसी नॉर्मल रेंज 12,000 से ज्यादा निकलता है तो निमोनिया हो सकता है। अगर एक्सरे में छाती में सफेद धब्बे दिखें, तो भी यह निमोनिया की ओर इशारा करता है।जानिये कैसे की जा सकती है निमोनिया बीमारी की पहचान

निमोनिया का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार का है। यानी अगर निमोनिया बैक्टीरिया के कारण होता है तो मरीज को ऐंटी-बायोटिक दवाइयां दी जाती हैं। लेकिन यह कोर्स पूरा करना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो निमोनिया ठीक होने के बाद भी फिर से लौट सकता है। इस प्रकार के निमोनिया को ठीक होने में करीब एक महीना लगता है। वहीं वायरस से होनेवाला निमोनिया ठीक होने में ज्यादा समय लेता है। मरीज को साथ में बुखार, खांसी की दवा दी जाती है। जरूरत पड़ने पर नेबुलाइज करके कफ को निकाला जाता है।

 

निमोनिया का पता लगाने के लिए तीन प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। ये हैं सीबीसी, छाती का एक्सरे और बलगम की जांच। सीबीसी में टोटल ब्लड काउंट देखा जाता है। अगर उसमें रेड ब्लड सेल्स यानी आरबीसी नॉर्मल रेंज 12,000 से ज्यादा निकलता है तो निमोनिया हो सकता है। अगर एक्सरे में छाती में सफेद धब्बे दिखें, तो भी यह निमोनिया की ओर इशारा करता है। जानिये कैसे की जा सकती है निमोनिया बीमारी की पहचान

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